नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि लोगों से आग्रह किया कि जब मौका मिले अपने देश की सुंदरता अपने देश की विविधता को ज़रूर देखने जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को आकाशवाणी से प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 104वीं कड़ी में कहा “चीजों या स्थानों को साक्षात् खुद देखना, समझना और कुछ पल उनको जीना, एक अलग ही अनुभव देता है। कोई समंदर का कितना ही वर्णन कर दे लेकिन हम समंदर को देखे बिना उसकी विशालता महसूस नहीं कर सकते। कोई हिमालय का कितना ही बखान कर दे, लेकिन हम हिमालय को देखे बिना उसकी सुन्दरता का आकलन नहीं कर सकते इसलिए ही मैं अक्सर आप सभी से ये आग्रह करता हूँ कि जब मौका मिले, हमें अपने देश की सुंदरता अपने देश की विविधता ज़रूर देखने जाना चाहिए।”
उन्होंने कहा , “ अक्सर हम एक और बात भी देखते हैं हम भले ही दुनिया का कोना-कोना छान लें लेकिन अपने ही शहर या राज्य की कई बेहतरीन जगहों और चीजों से अनजान होते हैं। कई बार ऐसा होता है कि लोग अपने शहर के ही ऐतिहासिक स्थलों के बारे में ज्यादा नहीं जानते। ऐसा ही कुछ धनपाल जी के साथ हुआ। धनपाल, बेंगलुरु के परिवहन में ड्राइवर का काम करते थे। धनपाल पर्यटकों को शहर के अलग-अलग पर्यटन स्थलों पर ले जाया करते थे। ऐसी ही एक बार पर किसी पर्यटक ने उनसे पूछ लिया, बेंगलुरु में टैंक को सेंकी टैंक क्यों कहा जाता है। उन्हें बहुत ही ख़राब लगा कि उन्हें इसका जवाब पता नहीं था। अपनी विरासत को जानने के इस जुनून में उन्हें अनेक पत्थर और शिलालेख मिले। इस काम में धनपाल का मन ऐसा रमा कि उन्होंने शिलालेखों से जुड़े विषय में डिप्लोमा भी कर लिया, हालाँकि अब वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन बेंगलुरु के इतिहास खंगालने का उनका शौक अब भी बरक़रार है।”
उन्होंने कहा, “मुझे ब्रायन डी खारप्रन के बारे में बताते हुए बेहद खुशी हो रही है। ये मेघालय के रहने वाले हैं और उनकी गुफाओं का अध्ययन में गज़ब की दिलचस्पी है। वर्ष 1990 में उन्होंने अपने दोस्त के साथ मिलकर एक संगठन की स्थापना की और इसके जरिए मेघालय की अनजान गुफाओं के बारे में पता लगाना शुरू किया। देखते ही देखते उन्होंने अपनी टीम के साथ मेघालय की 1700 से ज्यादा गुफाओं की खोज कर डाली। भारत की सबसे लंबी और गहरी गुफाओं में से कुछ मेघालय में मौजूद हैं। मेरा यह आग्रह भी है कि आप मेघालय के गुफाओं में घूमने की योजना जरुर बनाएं।”