पीएम मोदी ने शहीद दिवस पर असम आंदोलन के शहीदों को दी श्रद्धांजलि,असमिया संस्कृति-राज्य के विकास को सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता दोहरायी

नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को शहीद दिवस के मौके पर ऐतिहासिक असम आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि दी और असमिया संस्कृति को मजबूत करने तथा राज्य की चौतरफा प्रगति सुनिश्चित करने के इसके मुख्य उद्देश्यों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता दोहरायी।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर छह साल तक चले आंदोलन में हिस्सा लेने वाले सभी लोगों की बहादुरी को याद किया। उन्होंने कहा, “आज, शहीद दिवस पर हम उन सभी लोगों की बहादुरी को याद करते हैं जो असम आंदोलन का हिस्सा थे। इस आंदोलन का हमारे इतिहास में हमेशा एक खास स्थान रहेगा। हम असम आंदोलन में हिस्सा लेने वालों के सपनों, खासकर असम की संस्कृति को मजबूत करने और राज्य की चौतरफा प्रगति के के सपनों को पूरा करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं, ।”
गौरतलब है कि शहीद दिवस हर साल 10 दिसंबर को असम में उन शहीदों की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने असम आंदोलन (जिसे विदेशी विरोधी आंदोलन भी कहा जाता है) के दौरान अपनी जान दे दी थी। यह तारीख खरगेश्वर तालुकदार की शहादत की याद दिलाती है, जिन्हें 1979 में आंदोलन का पहला शहीद माना जाता है।
असम आंदोलन 1979 से 1985 तक चला था। यह एक बड़ा सामाजिक-राजनीतिक आंदोलन था, जिसका नेतृत्व मुख्य रूप से ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) और ऑल असम गण संग्राम परिषद (एएजीएसपी) ने किया था। आंदोलन की मुख्य मांग राज्य में बसे अवैध विदेशियों, मुख्य रूप से बंगलादेश से आए लोगों की पहचान करना, उन्हें वोट देने के अधिकार से वंचित करना और उन्हें देश से बाहर निकालना था।
यह आंदोलन स्वदेशी असमिया लोगों के राजनीतिक अधिकारों, सांस्कृतिक पहचान, भाषा और भूमि अधिकारों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंताओं से प्रेरित था। यह आंदोलन 1985 में असम समझौते पर हस्ताक्षर के साथ समाप्त हुआ, जिसमें विदेशियों की पहचान के लिए एक निश्चित तारीख तय की गई और असम के स्वदेशी लोगों के सांस्कृतिक और आर्थिक हितों की रक्षा के लिए प्रावधान शामिल थे।





