पीएम मोदी बोले, कर्तव्य के बिना अधिकार की मांग संविधान की भावना के खिलाफ

नई दिल्ली,  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कर्तव्यों के बिना अधिकारों का दावा संवैधानिक मूल्यों के विरुद्ध है। यह बात उन्होंने केंद्रीय सूचना आयोग  के नए भवन के उदघाटन के मौके पर कही। उन्होंने कहा ‎कि लोगों को उनके कर्तव्यों के बारे में जागरुक करना जरूरी है क्योंकि कर्तव्यों के बिना अपने अधिकारों की बात करना संविधान के बुनियादी मूल्य के खिलाफ है।

सूचना के अधिकार  की तरह एक्ट राइटली  की अवधारणा पर चर्चा होनी चाहिए और नागरिकों को उनके अधिकारों के साथ कर्तव्यों के बारे में सूचित किया जाना चाहिए। उन्होंने सीआईसी से नागरिकों को सही से कर्तव्य निभाने के बारे में जागरुक करने का काम अपने हाथ में लेने को कहा। मोदी ने कहा कि अपने हित में या निहित स्वार्थों के लिए लोगों के अधिकारों और शक्तियों का दुरुपयोग करने का तरीका बंद होना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा ‎कि मैं मानता हूं कि सशक्त नागरिक हमारे लोकतंत्र का सबसे मजबूत स्तंभ है। पिछले चार वर्ष में आपने देखा है कि किस तरह केंद्र सरकार ने अलग-अलग माध्यमों से देश के लोगों को सूचित करने और सशक्त बनाने का प्रयास किया है। उनकी सरकार आधुनिक सूचना हाईवे के पांच स्तंभों आस्क , लिसिन, इंटरेक्ट , एक्ट और इंफॉर्म  पर काम कर रही है। भारत तेजी से डिजिटल तरीके से सशक्त होता समाज बन रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल न सिर्फ प्रक्रियाओं को आसान बनाने के लिए किया जा रहा है बल्कि इस तकनीक ने पारदर्शिता और सेवा की गुणवत्ता भी सुनिश्चित की है।

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