पूरे देश में मतदाता सूचियों की विशेष गहन समीक्षा एक साथ करने की चुनाव आयोग की योजना

नयी दिल्ली, बिहार के बाद अब चुनाव आयोग देश भर में राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों की मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की तैयारी कर रहा है और यह काम सभी जगह एक साथ कराने का विचार है।
आयोग के एक अधिकारी ने गुरुवार को कहा, ‘ अब पूरे देश में एसआईआर एक साथ करने का ही विचार बन रहा है। एसआईआर की पूरी प्रक्रिया तीन से चार महीने के बीच सम्पन्न हो जाती है।” आयोग के अधिकारियों के अनुसार देश भर में एसआईआर शुरू करने के कार्यक्रम को तय किया जाना है।
आयोग सूचियों की समीक्षा शुरू करने के लिए साल में जनवरी, अप्रैल, जुलाई अथवा अथवा अक्टूबर की कोई तिथि चुनाता है। इससे लगता है कि इस साल अक्टूबर-नवंबर में कराये जाने वाले बिहार के चुनावों के बाद आयोग पूरे देश में सभी राज्यों और केंद्रशासित क्षेत्रों की सूचियों के एसआईआर के कार्यक्रम की घोषणा कर सकता है।
अधिकारियों ने बताया कि बुधवार को राजधानी में राज्यों व केंद्र शासित क्षेत्रों के मुख्य चुनाव अधिकारियों (सीईओ) की दिन भर चली बैठक में पूरे देश में एसआईआर की तैयारियों पर भी बात हुई और अधिकारियों ने कहा कि वे इसके लिए तैयार है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘ राज्यों के सीईओ अपने यहां पिछली एसआईआर के बाद बनी मतदाता सूचियों को अपने वेबसाइट पर डालने की तैयारी में हैं। कुछ ने सूची को डाल भी दिया है।’ ज्यादातर राज्यों में पिछली एसआईआर 2002 से 2004 के बीच कराई गयी थी। दिल्ली में सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण 2008 में हुआ था।
अधिकारियों ने कहा कि पुनरीक्षण के लिए तीन महीने का समय पर्याप्त है और अब डिजिटल प्रौद्योगिकी ने इस काम को और आसान बना दिया है।
उन्होंने कहा कि एसआईआर की प्रक्रिया में बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। आयोग के अनुसार इस समय एक बीएलओ को सूची की समीक्षा या विशेष पुनरीक्षण के लिए मतदाताओं को छपा हुआ गणना प्रपत्र पहुंचाने और उसे प्राप्त करने के लिए औसन 950 मतदाताओं ( करीब ढाई सौ घरों) से सम्पर्क करना होता है। इस समय देश में 10.5 लाख बीएलओ हैं और आयोग इनकी संख्या 12 लाख करने जा रहा है। इससे यह औसत और कम होगा।
बिहार में एसआईआर का विस्तृत आदेश 24 जुलाई को जारी किया था और इसके साथ ही वहां यह प्रक्रिया शुरू की गयी थी। इसके अंतर्गत पुरानी सूची के आधार पर पूरे एक महीने मतदाताओं से घर घर संपर्क कर प्रकाशित गणना प्रपत्र भरवाने और उसके साथ प्रमाण के तौर पर विनिर्दिष्ट दस्तावेज (11 प्रकार के दस्तावेजों में से कम से कम एक) भी लिये गये थे। इनमें राजनीतिक दलों के बूथ स्तरीय एजेंटों से भी सहायता मिलती है।
उनके आधार पर पहली अगस्त को नयी मतदाता सूची का मसौदा जारी किया गया था। सूची के मसौदे पर 25 सितंबर तक दावे और आपत्तियां दर्ज करने का काम और उनका निस्तारण भी चल रहा है। बिहार की पक्की सूची का प्रकाशन 30 सितंबर को कर दिया जाएगा।





