नयी दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विवादित न्यायाधीश सीएस कर्णन अपनी ‘अशोभनीय’ गतिविधि और आचरण के जरिये अदालत की अवमानना के अपने ‘गंभीरतम कृत्यों ‘ को लेकर दंडित होने के लिए उत्तरदायी हैं. उनके बयानों ने न्यायिक प्रणाली को ‘हंसी का पात्र ‘ बना दिया.
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सुप्रीम कोर्ट नेकोलकाता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस सीएस कर्णन को सुनायी गयी छह महीने की जेल की सजा पर विस्तृत आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनका मामला एक कार्यरत न्यायाधीश के खिलाफ कार्रवार्इ से संबंधित था और इसने घरेलू तथा विदेशी दोनों मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींचा.
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पूर्व जस्टिस सीएस कर्नन ने सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यीय संवैधानिक बेंच के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज करने का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि ये बातें न्यायिक व्यवस्था की छवि को खराब करने वाली थीं. पूर्व जस्टिस कर्नन के बयानों को मीडिया तरजीह न देती तो मामला तूल न पकड़ता, लेकिन स्थानीय समाचार पत्रों में कर्नन के बयान आने के बाद विदेशी मीडिया की नजर बात पर पड़ीं, फिर उसके बाद बीबीसी ने इसे बतंगड़ बना दिया.