लखनऊ, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से लोकायुक्त की रिपोर्ट के आधार पर पूर्व मंत्रियों के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा अब तक की गयी कार्रवाई तलब की है। राज्यपाल ने इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है। वह अगस्त में भी इस बारे में मुख्यमंत्री को पत्र लिख चुके हैं। राज्यपाल ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री को पुनः पत्र लिखकर लोकायुक्त एवं उप-लोकायुक्त के विशेष प्रतिवेदनों (जांच रिपोर्ट) पर राज्य सरकार द्वारा अब तक की गयी कार्रवाई का स्पष्टीकरण मांगा है। उन्होंने इस संबंध में मुख्य सचिव का भी स्पष्टीकरण-ज्ञापन शीघ्र उपलब्ध कराने को कहा है। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में राज्यपाल ने कहा है कि उत्तर प्रदेश लोकायुक्त तथा उप-लोकायुक्त अधिनियम की धारा-12(7) के अंतर्गत अब तक 53 विशेष प्रतिवेदन राज्य सरकार के पास भेजे जा चुके हैं। इनमें वर्तमान लोकायुक्त न्यायमूर्ति संजय मिश्रा द्वारा प्रस्तुत एक विशेष प्रतिवेदन भी सम्मलित है। राजभवन से जारी पत्र के अनुसार 53 विशेष प्रतिवेदनों में से अभी तक केवल दो पर ही राज्य सरकार द्वारा स्पष्टीकरण उपलब्ध कराये गये हैं तथा शेष 51 के संबंध में न तो स्पष्टीकरण प्राप्त हुआ है और न ही उन्हें राज्य विधान मण्डल के समक्ष प्रस्तुत किये जाने की सूचना प्राप्त हुई है। राज्यपाल द्वारा प्रेषित पत्र के साथ संलग्न सूची में लोकायुक्त एवं उप-लोकायुक्त से प्राप्त विशेष प्रतिवेदनों में नौ पूर्व मंत्रियों, एक विधायक, तीन नगर पालिका व नगर पंचायत के अध्यक्ष तथा 40 अधिकारियों का उल्लेख है। नौ पूर्व मंत्रियों में बसपा सरकार में मंत्री रहे अवधपाल सिंह यादव, रामवीर उपाध्याय, बादशाह सिंह, रामअचल राजभर, राजेश त्रिपाठी, अयोध्या प्रसाद पाल, रतन लाल अहिरवार, नसीमुद्दीन सिद्दीकी एवं स्वामी प्रसाद मौर्य तथा एक विधायक में जौनपुर के मडियाहूं विधान सभा सीट से तत्कालीन विधायक कृष्ण कुमार सचान का नाम सम्मिलित है। राज्यपाल ने इससे पूर्व 12 अगस्त को भी मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित कर लोकायुक्त एवं उप-लोकायुक्त के विशेष प्रतिवेदनों पर राज्य सरकार द्वारा कृत अथवा प्रस्तावित कार्यवाही के साथ अपना और मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन का स्पष्टीकरण-ज्ञापन उपलब्ध कराने की अपेक्षा की थी। नाईक ने अपने पत्र में कहा है कि राज्य विधान मण्डल द्वारा उत्तर प्रदेश लोकायुक्त तथा उप-लोकायुक्त अधिनियम 1975 के अंतर्गत लोकायुक्त तथा उप-लोकायुक्त संगठन मंत्रियों, जनप्रतिनिधियों तथा लोक-सेवकों द्वारा अपने पद व शक्ति के दुरूपयोग कर भ्रष्टाचार करने, अवैध सम्पत्ति अर्जित करने, लोक सम्पत्ति को निजी हित में उपयोग लाने की शिकायतों की जांच करने तथा कुशासन समाप्त कर लोक जीवन में शुचिता व सुशासन को सबल बनाने के उद्देश्य से गठित किया गया है। उन्होंने कहा है कि मंत्रियों, जनप्रतिनिधियों तथा लोक-सेवकों के विरूद्ध भ्रष्टाचार से संबंधित प्राप्त शिकायतों की जांच के उपरान्त लोकायुक्त संस्था द्वारा राज्य सरकार को प्रेषित जांच रिपोर्ट पर लम्बे समय तक कार्यवाही न किये जाने से तथा लोकायुक्त द्वारा राज्यपाल को प्रेषित विशेष प्रतिवेदन पर भी कार्यवाही न किये जाने से उत्तर प्रदेश लोकायुक्त तथा उप-लोकायुक्त अधिनियम 1975 एवं इसके अंतर्गत गठित लोकायुक्त संगठन का उद्देश्य ही विफल हो जाता है। प्रदेश के नागरिकों को सुशासन का लाभ तब मिलेगा जब भ्रष्टाचारियों के विरोध में कार्रवाई होगी।