कानपुर, पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की पुस्तक अग्नि की उड़ान से एक युवक को ऐसी प्रेरणा मिली कि स्मोक कंट्रोल मशीन बना डाली जिससे वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण से शहर की आबोहवा को बचाया जा सकता है। जहरीले धुएं से अपने रिश्तेदार की मौत व अब्दुल कलाम की पुस्तकों ने हरेन्द्र वर्मा को इस कदर प्रभावित कर दिया कि उसने धुएं को ही खत्म करने की ठान ली। दो साल की कड़ी मेहनत के बाद उसने स्मोक कंट्रोल मशीन बना डाली। उसका दावा है कि यह मशीन धुएं को फिल्टर करती है और धुएं में होने वाले कार्बन समेत अन्य तत्वों को जमीन में ही गिरा देती है। यदि ऐसी मशीनों को वायु प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों, चिमनी, प्लांटों, कारखानों आदि धुआं निकलने वाले स्थानों में लगाया जाए तो देश को वायु प्रदूषण मुक्त बनाए जाने का प्रयास किया जा सकता है। उसने बताया कि इसको छोटे वाहनों में भी आसानी से लगाया जा सकता है।
वर्मा के मुताबिक मशीन की उपयोगिता की जानकारी आईआईटी को दी गई है। प्रोफेसर विनोद तारे ने मशीनिस्ट विभाग के डा. तरूण पटेल को स्मोक कंट्रोल मशीन की गुणवत्ता की जांच के लिए लगाया है। उसने बताया कि आईआईटी ने अगले सप्ताह बुलाया है और मशीन के विषय में गहनता से अध्ययन किया जाएगा। बताते चलें कि हरेन्द्र मूल रूप से कन्नौज का रहने वाला है। घर की माली हालत खराब होने के चलते इण्टर तक पढ़ने के बाद कानपुर में प्राइवेट नौकरी कर ली लेकिन वैज्ञानिक बनने की तमन्ना के चलते स्मोक कंट्रोल मशीन बना डाली। हरेंद्र ने बताया कि उसने स्मोक कंट्रोल मशीन बनाने से पहले कई प्रयोग किए। शुरूआत के चरण में मुझे सफलता नहीं मिली। वहीं मेरे इस काम के बारे में जब गांववालों को पता चला तो उन्होंने मेरा जमकर मजाक उड़ाया लेकिन पूर्व राष्ट्रपति की प्रेरणा से हिम्मत नहीं हारा और दो साल की मशक्कत के बाद 20 हजार रूपए में यह मशीन बनाकर तैयार की है।