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पेट्रोल मे मोदी सरकार का खेल- दाम से ज्यादा आप दे रहें हैं टैक्स, जानिये कैसे? 

नई दिल्ली, केंद्र की मोदी सरकार ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में हर दिन बदलाव करे का निर्णय लेते हुये पूरे देश को आश्वस्त किया था कि रोज कीमतें तय करने का फायदा आम लोगों को मिलेगा। मोदी सरकार ने कहा था कि एेसा करने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में आई कमी को तुरंत ही आम नागरिकों तक पहुंचाया जा सकेगा।

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लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में आई कमी का लाभ तुरंत ही आम नागरिकों तक पहुंचता नहीं दिख रहा है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में लगातार कमी आई है, लेकिन इसका फायदा कहीं भी आम लोगों को मिलता नहीं दिख रहा है ऐसे में सरकार की नीयत पर सवाल खड़े हो रहें है कि उसने किस वादे के साथ डायनैमिक प्राइसिंग को देश में लागू किया था?

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16 जून को  डायनैमिक प्राइसिंग अपनाई थी। इसके तहत पेट्रोल-डीजल की कीमतों में हर दिन बदलाव किया जाता है। जब से सरकार की तरफ से रोजाना डीजल-पेट्रोल की कीमतों की समीक्षा शुरू हुई है, तब से लोगों का हाल ही बेहाल हो गया है। सितंबर महीने में कीमतों में रोजाना बढ़ोत्तरी हुई है और अब तो पेट्रोल की कीमत 80 रुपए तक जा पहुंची है।

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सिर्फ सितंबर महीने में ही अब तक पेट्रोल की कीमतों में 1.53 फीसदी से 1.80 फीसदी तक की बढ़ोतरी देखी जा चुकी है। इस महीने के सिर्फ 12 शुरुआती दिनों में ही डीजल की कीमत में 2.78-2.96 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई है।

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 पेट्रोल की बेतहाशा बढ़ती कीमतों से सबसे बुरा हाल महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश का है, जहां पर पेट्रोल 80 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से बिक रहा है। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में तो पेट्रोल की कीमत में जैसे आग ही लग गई है। आज मुंबई में पेट्रोल की कीमत 79.48 रुपए प्रति लीटर हो गया है। वहीं दूसरी ओर डीजल की कीमत 62.37 रुपए प्रति लीटर है।

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देश मे पेट्रोल-डीजल की कीमतें 2014 के बाद अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई हैं। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी इसलिए आम लोगों को हैरान कर रही है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें लगातार घटी हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें पिछले तीन साल के दौरान 50 फीसदी से ज्यादा कम हो  गई हैं, लेकिन इसी दौरान भारत में लगातार पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा देखने को मिल रहा है।

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13 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 3093 रुपए प्रति बैरल है. 2014 में एक बैरल कच्चे तेल की कीमत 6 हजार रुपए के करीब थी. पिछले तीन सालों में कच्चे तेल की कीमतो में आई कमी का फायदा ग्राहकों को नहीं मिला है।

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इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम कच्चे तेल को रिफाइन करती हैं। ये कंपनियां एक लीटर कच्चे तेल के लिए 21.50 रुपए का भुगतान करती हैं. इसके बाद एंट्री टैक्स, रिफाइनरी प्रोसेसिंग, लैंडिंग कॉस्ट और अन्य ऑपरेशनल कॉस्ट को मिला दें तो एक लीटर कच्चे तेल को रिफाइन करने में 9.34 रुपए खर्च होते हैं।  एक लीटर पेट्रोल तैयार करने में ऑयल कंपनियों को करीब 31 रुपए का खर्च आता है।

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ऑयल कंपनियों के स्तर पर 31 रुपए में 1 लीटर पेट्रोल तैयार हो जाता है. इसके बाद उस पर केंद्र सरकार की तरफ से टैक्स वसूला जाता है। इसका मतलब है कि आप 48 रुपए से ज्यादा तो सिर्फ टैक्स दे रहे हैं। साल 2014 से अब तक केंद्र सरकार  ने पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 126 फीसदी बढ़ा दी है। वहीं, डीजल पर लगने वाली ड्यूटी में 374 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है।

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आज कीमतें तीन साल  के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई हैं, लेकिन इस तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। सरकार मस्त और विपक्ष खामोश है।

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