पेट दर्द की बीमारी के लिए अक्सर मनुष्य का आहार व्यवहार ही जिम्मेदार होता है। अगर खान-पान, पीने के पानी, व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक स्वच्छता आदि के संबंध में थोड़ी-सी सावधानी बरती जाए, तो 40 प्रतिशत व्यक्तियों की पेट दर्द की शिकायत दूर हो जायेगी। इसके अलावा आधुनिक तम प्रतिरोधक औषधियों और समय रहते किये गये उपचारों से पेट दर्द को बहुत कुछ कम किया जा सकता है। हर व्यक्ति को कभी न कभी पेट दर्द अवश्य सताता है। पेट दर्द होने पर घरेलू दवाओं से लेकर कीमती, महंगी, आधुनिकतम दवाओं तक का सेवन करने अथवा आपरेशन कराने की भी जरूरत होती है। परन्तु पेट दर्द का सही उपचार है पेट दर्द से बचने का प्रयास करना।
पेट दर्द एक आम बीमार है। ऐसे मरीज आपको किसी प्रासादतुल्य स्वास्थ्य संस्था के दरवाजे पर भी नजर आ सकते हैं और किसी शांत गांव में कार्यरत डाक्टर के दरवाजे पर भी। इन रोगियों को स्वस्थ बनाना चिकित्सा क्षेत्र में कार्यरत व्यवसायियों के लिए एक चुनौती ही है। पहली बात तो यह है कि उनकी बीमारी का सही निदान किया जाना आवश्यक है और दूसरी बात यह कि उसके लिए उचित उपचार सुझाया जाना चाहिए। इस प्रकार का पेट दर्द किसी भी व्यक्ति को सहना पड़ सकता है।
पेट दर्द की बीमारी का निदान करना आसान नहीं होता। कई बार तो कई प्रकार के परीक्षणों के बाद ही सही निदान हो पाता है। सही निदान होने के बाद किया जाने वाला उपचार ही असर करता है। ऐसे मौके पर यदि डाक्टर जल्दबाजी करे तो रोग निदान गलत भी हो सकता है। रोग की जटिलता सुलझाने के लिए समय देना जरूरी तो है, पर इतनी देर भी न करें कि कोई उपाय ही शेष न रहे। इस मामलों में कई बार यह भी देखा जाता है कि अत्यन्त अनुभवी डाक्टर भी कभी-कभी धोखा खा जाते हैं। इसलिए मन में यह विचार आता ही है कि इस पेट दर्द से किस प्रकार बचा जा सकता है? नीचे जो उपाय दिये जा रहे हैं, वे शत-प्रतिशत भरोसा रखने योग्य तो नहीं हैं, पर विचारणीय अवश्य हैं।
भयानक पेट दर्द आखिर क्या है? चिकित्सीय परिभाषा में इसे कहाजाता है। इसमें बहुत कम समय में रीज तीव्र वेदना वाले पेट दर्द से छटपटाने लगता है। ऐसे मरीज को देखते ही डाक्टर के सम्मुख दो महत्वपूर्ण प्रश्न उपस्थित होते हैं। पहला यह कि तुरन्त आपरेशन की आवश्यकता है? और दूसरा यह कि उचित औषधि उपचार से क्या आपरेशन टाला जा सकता है? आइये इसके कारण जानें।
1. भोजन/खानपान से उत्पन्न पेट दर्द- इसमें विशिष्ट पदार्थों से एलर्जी तथा कब्ज शामिल हैं।
2. यदि जठर पर व्रण हो गये हों, तब।
3. पाचन प्रणाली में कृमि संक्रमण हुआ हो तब।
4. आंत के फटते या उनमें छेद होने से पेट के भीतरी आवरण पर आने वाली सूजन के कारण।
5. अपेण्डिक्स या आंत्रपुच्छ दाह।
6. छोटी आंत मं उत्पन्न होने वाली रूकावट।
7. गर्भनलिका में गर्भधारण होने से गर्भ नलिका का फटना और पेट में रक्तस्राव होने के कारण।
8. यकृत अत्यन्त तीव्र रक्त प्रवाही अवश्य है। यदि किसी कारण इस पर दरारें पड़ जाएं, तो रक्त पेट में रिसता है।
9. पेट के भीतर वाले विविध अवयवों के ऐंठने या उनमें जटिलता उत्पन्न होने के कारण।
10. विविध कीटाणुओं के कारण पाचक प्रणाली से संबंधित विभिन्न अपयवों पर सूजना आ जाती है। उनमें दाह होता है। और पेट दर्द शुरू होता है। जननांगों में भी ऐसी सूजन होती है और दर्द होता है।
11. पित्ताशय और अग्नाशय पर सूजन के कारण पेट दर्द होता है।
12. मूत्रमार्ग में तैयार होने वाली पथरियां जब सरकती हैं, तब पेट दर्द होता है।
13. हृदय, फेफड़ा या उसके आसपास के अवयवों में कोई बीमारी हो, तो दर्द होता है और मरीज पेट दर्द की शिकायत करता है।
14. अस्थि संस्थान, सयु संस्थान और मज्ज संस्थान की बीमारियां पेट दर्द का कारण बन सकती हैं।
15. पेट के भीतर स्थिर विविध अवयवों की रक्त वाहिनियां यदि किसी कारणवश अचानक बंद हो जाए, तो तेज पेट दर्द होता है।
16. छोटी और बड़ी आंत से कई बार शाखाएं निकलती हैं और उनमें सूजन आ जाता है।
17. डाइबिटीज के कारण शरीर में कुछ विषैले पदार्थ जमा होने लगते हैं और पेट दर्द होता है।
18. कीड़े-मकोड़ों के काटने के कारण।
19. सीसा और अर्सेनिक नामक धातु के कारण शरीर में विषबाधा होती है और पेट दर्द होता है। यदि पेट दर्द का स्वरूप निम्न प्रकारों में से कोई हो-
1. अचानक उत्पन्न तीव्र वेदना।
2. चेहरे और शरीर का रंग फीका निस्तेज होना, मरीज को पसीना निकलना।
3. आंखों के सामने अंधेरा छा जाना, सिर चकराना, विशेष रूप से उठकर बैठने या खड़े होने पर।
4. तेज, ढेर सारी उल्टी होना, कड़वाहट खट्टा पानी उल्टी के साथ निकलना।
5. धीरे-धीरे पेट फूलना वात जमा होना, पेट से गुरगुराहट की आवाज आना, हलचल होना या आवाज का एकाएक रूक जाना।
6. उल्टी या शौच के साथ रक्त निकलना, शौच का रंग काला होना।
7. पेट में लगातार दर्द बने रहना किसी विशिष्ट स्थान में दर्द, फिर उस दर्द का पेट भर में फैल जाना।
8. सांस लेने में तकलीफ, सांस फूलना।
9. पेट का सख्त हो जाना, मरीज पेट में हाथ न लगाने दे, इतनी अधिक वेदना।
उपर्युक्त लक्षण या चिह्न यदि किसी मरीज में दिखाई दे, तो आसपास के व्यक्तियों/डाक्टरों को तुरन्त समझ लेना चाहिए कि मरीज की हालत खराब है और उसे सहायता की आवश्यकता है। मरीज के साथ जो व्यक्ति हो, उसे यदि आपरेशन की सलाह दी जाये तो मरीज का हित ध्यान में रखते हुए अनुमति देना चाहिए। इसके लिए मरीज के रिश्तेदारों या अन्य जिम्मेदार व्यक्ति की प्रतीक्षा नहीं की जाये। देर से आपरेशन हो, तो मरीज के प्राण खतरे में पड़ सकते हैं। ऐसे अवसर परीक्षा की घड़ी ही साबित होते हैं। विशेष रूप से छोटे बच्चों और गर्भवती स्त्रियों में ऐसा तेज पेट दर्द चिंता का कारण होता है। इस स्थिति में कुछ बातों का ध्यान रखा जाए, तो पेट दर्द टाला जा सकता है।