हैदराबाद, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन अधिक से अधिक उपग्रहों के निर्माण एवं अंतरिक्ष तक पहुंच की लागत में कमी लाकर तथा अपने प्रक्षेपण कार्यक्रमों में सालाना 12 प्रतिशत की वृद्धि कर अपनी क्षमता में इजाफा करने की कोशिश कर रहा है। वर्तमान में इसरो हर साल सात प्रक्षेपण करता है। अंतरिक्ष एजेंसी के अध्यक्ष ए.एस किरण कुमार ने कहा, इससे पहले हर साल हमलोग दो से तीन प्रक्षेपण करते थे। इसके बाद हमने यह संख्या 4-5 तक बढ़ायी। बीते कुछ वर्ष में हमने सात प्रक्षेपण किये हैं।
उन्होंने कहा, अब हम प्रति वर्ष यह संख्या 8-9 पीएसएलवी, दो जीएसएलवी-एमके 2 और एक जीएसएलवी-एमके 3 तक बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। यानी सालाना तकरीबन कुल 12 प्रक्षेपण। अध्यक्ष ने कहा कि इसरो अधिक से अधिक उपग्रहों के निर्माण एवं अंतरिक्ष तक पहुंच की लागत में कमी लाकर तथा भारी भरकम उपग्रहों का प्रक्षेपण कर अपनी क्षमता में इजाफा करने की कोशिश कर रहा है।
उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष एजेंसी प्रतिवर्तन काल और पीएसएलवी को लेकर प्रवाह क्षमता में सुधार लाने के लिये एक सेकंड व्हीकल असेंबली बिल्डिंग के निर्माण की प्रक्रिया में है ताकि उसी लांच पैड से इसरो और प्रक्षेपण कर सके। किरण कुमार ने कहा कि अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण प्रस्ताव के लिये मंजूरी मिलनी बाकी है। उन्होंने कहा कि इसरो अगले कैलेंडर वर्ष की पहली तिमाही में चंद्रयान-2 अभियान शुरू करने की योजना बना रहा है।
किरण कुमार ने बताया, यह भारतीय है। इसमें रूस की कोई भागीदारी नहीं है। उन्होंने कहा, इसके लिये आवश्यक सभी वैरिएबल थ्रस्ट इंजन, लैंडर, रोवर जैसे तमाम जरूरी कार्य किये जा रहे हैं और इस प्रक्षेपण के लिये हमलोग तैयार हो रहे हैं। उन्होंने कहा, अन्य मंगल अभियान, शुक्र अभियान या एस्टेरॉयड्स अभियान इन तमाम संभावनाओं पर हमलोग काम कर रहे हैं। अध्ययन टीमें इसे देख रही हैं। इसके बाद किसी समय हम इसे अंतिम रूप देंगे और फिर इनके लिये मंजूरी लेना शुरू करेंगे। पुनः प्रयोग में लाने योज्ञ प्रक्षेपण यान पर उन्होंने कहा कि इसरो ने एयर ब्रीथिंग प्रणोदक प्रणाली के संदर्भ में अपने अगले कदम का निर्धारण किया है।