मुम्बई। प्रणव के लिए क्रिकेट में कॅरियर बनाना काफी कठिन था, लेकिन उन्होंने सभी बाधाओं को पार करते हुए मंगलवार को इतिहास रच दिया।क्रिकेट में 1009 रन का जादुई आंकड़ा छूने वाले 16 वर्षीय प्रणव धनावड़े की सफलता मुश्किल रही। प्रणव धनावड़े ने क्रिकेट की दुनिया में कुछ अलग करने के मकसद से 6 साल की उम्र से ही बल्ला थाम लिया था। वे आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं तो उन्हें अपने पुराने दिन याद आ रहे हैं। वे कहते हैं कि बचपन से ही मैं सचिन तेंदुलकर की तरह एक बड़ा और सफल बल्लेबाज बनना चाहता था।
प्रणव के कोच मोबीन शेख ने बताया कि प्रणव की रिकॉर्ड तोड़ पारी से वे बेहद खुश हैं। उन्होंने बताया कि प्रणव के खेल को देखते हुए हमें उससे काफी उम्मीदें थीं और उसने अपनी अथक मेहनत से खुद को साबित भी कर दिखाया है। प्रणव के रिकॉर्ड से हम बेहद खुश हैं। एक न एक दिन वह एक बड़ा खिलाड़ी जरूर बनेगा। मोबीन ने कहा कि प्रणव को हम पिछले पांच वर्षों से क्रिकेट की ट्रेनिंग दे रहे हैं। करीब 12 साल की उम्र से प्रणव क्रिकेट के गुर सीखने के लिए गंभीर हो गया था। शुरुआती दौर में तो वह कुछ खास नहीं कर पा रहा था, लेकिन धीरे-धीरे उसकी परफॉर्मेंस में काफी सुधार होने लगा और आज वह देश भर में जाना जा रहा है।
प्रणव के माता-पिता बहुत ही गरीब परिवार से हैं और दोनों ही दिन-रात मेहनत करते हैं। प्रणव के पिता ऑटो रिक्शा चालक है, जबकि मां कैटरिंग का कार्य करती है। प्रणव के पिता कल्याण के रामबाग से लेकर चिकनघर तक करीब 20 सालों से ऑटो रिक्शा चला रहे हैं।उनके माता पिता अपने पुत्र की परवरिश और शिक्षा में कोई कमी नहीं छोडऩा चाहते। उन्होंने अपने इकलौते पुत्र को इंग्लिश मीडियम से पढ़ाने का ऐलान किया। प्रणव का कल्याण स्थित केसी गांधी स्कूल काफी महंगे और नामचीन विद्यालयों में से एक है। 10वीं कक्षा के छात्र प्रणव ने अपनी सफलता का श्रेय अपने मां-बाप और कोचों को देते हुए भारतीय टीम में खेलने की इच्छा जाहिर की है। सरकार ने प्रणव के आगे की पढ़ाई का खर्च उठाने की भी घोषणा की है।
प्रणव के पिता प्रशांत धनावड़े ने बताया कि वह अपने बेटे के खेल और उसकी सफलता से बेहद खुश है। उन्होंने कहा कि प्रणव की 11 साल की मेहनत आखिर रंग लाई। उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद करता हुए कि प्रणव आगे चलकर एक बेहतरीन खिलाड़ी बनेंगे और देश की टीम में खेलेंगे। प्रणव की मां मोहिनी प्रशांत धनावड़े ने कहा कि बेटे का खेलना हमें हमेशा से ही अच्छा लगता है। प्रणव पर ईश्वर की कृपा है। हम आगे भी उसे अच्छा खिलाड़ी बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। प्रणव हमारा इकलौता बेटा है, जिसके उज्जवल भविष्य के लिए हम दोनों दिन-रात मेहनत करते हैं। हमें उम्मीद है कि वह आगे चलकर देश का नाम रोशन करेगा।