नई दिल्ली, दिल्ली में खतरनाक स्थिति पर पहुंची प्रदूषण की समस्या पर केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे ने आज कहा कि यह एक गंभीर समस्या है जिससे निबटने के लिए कुछ दिन नहीं बल्कि 365 दिन आपात स्तर पर काम करना होगा। प्रदूषण से निबटने की कार्ययोजना पर विचार के लिए दिल्ली के चार पड़ोसी पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के पर्यावरण मंत्रियों के साथ आज एक आपात बैठक के बाद मीडिया से रूबरू हुए दवे ने कहा कि यह समय एक दूसरे पर दोषारोपण करने का नहीं है। वैसे भी प्रदूषण की समस्या 80 फीसदी दिल्ली की पैदा की हुई है। पड़ोसी राज्यों का इसमें केवल 20 फीसदी हाथ है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण की समस्या को लेकर केन्द्र ने काफी पहले ही एडवायजरी जारी कर दी थी लेकिन इसकी अनदेखी की गई। उन्होंने कहा कि केन्द्र अपनी ओर से इस दिशा में पूरा प्रयास करेगा लेकिन अकेले उसके भरोसे इस चुनौती से नहीं निबटा जा सकता राज्यों को इसमे सक्रिय सहयोग करना पड़ेगा।
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि प्रदूषण से निबटने के लिए बीते साल 42 सूत्री एजेंडा जारी किया गया था इस बार भी ऐसा ही किया जाएगा। इस बार सरकार राज्यों के लिए पर्यावरण सुरक्षा कैलेंडर जारी करेगी जिसमें साल के पूरे दिन प्रदूषण से निबटने के लिए किए जाने वाले उपायों का ब्यौरा होगा। उधर दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में धूएं और वायु प्रदूषण की स्थिति में सुबह कोई सुधार नजर नहीं आया। दिन में धूप निकलने से कुछ राहत जरूर मिली। सड़कों पर लोग मास्क लगाये या कपड़े से मुंह को ढके नजर आये। केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे ने कहा है कि प्रदूषण को लेकर आरोप-प्रत्यारोप नहीं लगाना चाहिये। यह गंभीर समस्या है। उन्होंने प्रदूषण के मुद्दे पर बैठक के बाद कहा कि प्रदूषण के लिये धूल बड़ा कारण है। प्रदूषण से निपटने के लिये दीर्घकालीन रणनीति की जरूरत है। दवे ने कहा कि पड़ोसी राज्यों से फसलों के अवशेष जलाये जाने का राजधानी के प्रदूषण में केवल 20 प्रतिशत योगदान है। उन्होंने कहा कि हमें यह समझना होगा कि 80 प्रतिशत प्रदूषण की समस्या दिल्ली के स्थानीय कारणों से है।