नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को स्वच्छता अभियान में बढ़ चढ़कर भाग लेने का आह्वान किया और कहा कि ‘स्वच्छ भारत मिशन’ का दो अक्टूबर को 10 साल पूरा होना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ के 114वीं कड़ी को संबोधित करते हुए इस अभियान में जुड़े लोगों की चर्चा के दौरान उत्तराखंड के उत्तरकाशी के एक सीमावर्ती गाँव ‘झाला’ जिक्र किया। यहां के युवाओं ने अपने गाँव को स्वच्छ रखने के लिए एक खास पहल शुरू की है। वे अपने गाँव में ‘धन्यवाद प्रकृति’ या कहें ‘थैंक यू नेचर’ अभियान चला रहे हैं। इसके तहत गाँव में रोजाना दो घंटे सफाई की जाती है। गाँव की गलियों में बिखरे हुए कूड़े को समेटकर गाँव के बाहर तय जगह पर डाला जाता है। इससे झाला गाँव भी स्वच्छ हो रहा और लोग जागरूक भी हो रहे हैं।
उन्होंने कहा, “आप सोचिए, अगर ऐसे ही हर गाँव, हर गली-हर मोहल्ला, अपने यहां ऐसा ही थैंकयू नेचर अभियान शुरू कर दे तो कितना बड़ा परिवर्तन आ सकता है।”
प्रधानमंत्री ने पुड्डुचेरी के समुद्र तट पर भी जबरदस्त सफाई अभियान की चर्चा की। उन्होंने कहा, “यहां रम्या जी नाम की महिला, माहे म्युनिसिपालिटी और इसके आसपास के क्षेत्र के युवाओं की एक टीम का नेतृत्व कर रही है। इस टीम के लोग अपने प्रयासों से माहे इलाके और खासकर वहाँ के समुद्र तट को पूरी तरह साफ-सुथरा बना रहे हैं।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “मैंने यहां सिर्फ दो प्रयासों की चर्चा की है। लेकिन, हम आसपास देखें तो पाएंगे कि देश के हर किसी हिस्से में ‘स्वच्छता’ को लेकर कोई-न-कोई अनोखा प्रयास जरूर चल रहा है। कुछ ही दिन बाद आने वाले 2 अक्टूबर को ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के 10 साल पूरे हो रहे हैं। यह अवसर उन लोगों के अभिनंदन का है, जिन्होंने इसे भारतीय इतिहास का इतना बड़ा जन-आंदोलन बना दिया। ये महात्मा गांधी जी को भी सच्ची श्रद्धांजलि है, जो जीवनपर्यंत इस उद्देश्य के लिए समर्पित रहे।”
उन्होंने कहा, “ये ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की ही सफलता है कि ‘वेस्ट टू वेल्थ’ का मंत्र लोगों में लोकप्रिय हो रहा है। लोग ‘ रिड्यूस, रीयूज और रीसाइकिल’ पर बात करने लगे हैं। उसके उदाहरण देने लगे हैं। अब जैसे मुझे केरल के कोझिकोड में एक शानदार प्रयास के बारे में पता चला। यहां 74 साल के सुब्रह्मण्यम जी 23 हजार से अधिक कुर्सियों की मरम्मत करके उन्हें दोबारा काम लायक बना चुके हैं। लोग तो उन्हें ‘रिड्यूस, रीयूज और रीसाइकिल’ यानि ‘आरआरपी’ चैंपियन भी कहते हैं। उनके इन अनूठे प्रयासों को कोझिकोड सिविल स्टेशन, लोक निर्माण विभाग और जीवन बीमा निगम के दफ्तरों में देखा जा सकता है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वच्छता अभियान से हमें ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ना है। यह एक अभियान किसी एक दिन का, एक साल का, नहीं होता है, यह युगों-युगों तक निरंतर करने वाला काम है। यह जब तक हमारा स्वभाव बन जाए ‘स्वच्छता’, तब तक करने का काम है।
उन्होंने कहा, “मेरा आप सबसे आग्रह है कि आप भी अपने परिवार, दोस्तों, पड़ोसियों या सहकर्मियों के साथ मिलकर स्वच्छता अभियान में हिस्सा जरूर लें।”