नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जल संरक्षण के लिए एक जन आंदोलन पैदा करने पर जोर देते हुए आज कहा कि एनसीसी जैसे युवा संगठन को जल भंडारण ढांचों को बनाने में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने झारखंड में सूखा और जल की कमी की स्थिति की समीक्षा के दौरान यह कहा।
प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने राज्य सरकार से यूनिक नंबरों और जियो टैगिंग के जरिए सभी जलाशयों की पहचान करने को कहा। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण और व्यापक रूप से वर्षा जल संचयन के लिए एक जन आंदोलन पैदा करने की अपील की। उन्होंने कहा कि एनसीसी, एनएसएस, एनवाईकेएस और स्काउट्स एंड गाइड्स जैसे युवा संगठनों को जल भंडारण ढांचों के निर्माण में शामिल किया जाना चाहिए।
एक उच्च स्तरीय बैठक में अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास और केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद थे। बयान में कहा गया है कि साल 2015…16 के लिए झारखंड को राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष के केंद्रीय हिस्से के रूप में 273 करोड़ रूपए जारी किए गए। साल 2016…17 के लिए एसडीआरएफ की प्रथम किश्त के तहत 143. 25 करोड़ रूपए और जारी किए गए। मृदा स्वास्थ्य कार्ड के लिए एक जन आंदोलन पैदा करने की जरूरत का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि इसे सफल बनाने के लिए गतिशीलता, गति और तंत्र की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि मृदा जांच को कौशल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए और मुद्रा के जरिए प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए रिण दिया जाना चाहिए। प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने मनरेगा द्वारा तैयार की जाने वाली परिसंपत्ति की जियो टैगिंग की रिपोर्टिंग और तस्वीरों को हाथ में रखे जाने योग्य उपकरणों से अपलोड किए जाने की अपील की। उन्होंने कहा, सभी जलाशयों की यूनिक नंबर और जियो टैगिंग के जरिए पहचान की जाए।प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लागू किए जाने की प्रगति की नियमित निगरानी की अहमियत पर भी जोर दिया।