नयी दिल्ली, अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने उच्चतम न्यायालय में स्वीकार किया कि उन्होंने एम नागेश्वर राव की सीबीआई के अंतरिम निदेशक के रूप में नियुक्ति के बारे में उच्चाधिकार चयन समिति की बैठक की कार्यवाही के विवरण को गढ़ा हुआ बताने संबंधी अपना ट्विट करके ‘सही में गलती’ की थी। भूषण ने अपने ट्विट में कहा था कि सरकार ने शायद गढ़ा हुआ कार्यवाही विवरण न्यायालय में पेश किया है।
न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि भूषण के बयान को देखते हुये वह उनके खिलाफ दायर अपनी अवमानना याचिका वापस लेना चाहेंगे। हालांकि, भूषण ने न्यायालय में एक अर्जी दायर कर न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा से अनुरोध किया कि वह वेणुगोपाल की अवमानना याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग करें।
न्यायमूर्ति मिश्रा को अवमानना याचिका की सुनवाई से अलग होने का अनुरोध करने के लिये भूषण ने पीठ से बिना शर्त क्षमा याचना करने से भी इंकार कर दिया। वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि वह अपने पहले के बयान पर कायम हैं कि वह इस मामले में प्रशांत भूषण के लिये कोई सजा नहीं चाहते हैं। पीठ ने हालांकि कहा कि इस व्यापक मुद्दे पर विचार किया जायेगा कि क्या कोई व्यक्ति अदालत के विचाराधीन किसी मामले में जनता की राय को प्रभावित करने के लिये न्यायालय की आलोचना कर सकता है। पीठ इस मामले में अब तीन अप्रैल को आगे सुनवाई करेगी।