लख़नऊ,कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के मुख्यमंत्री योगी को जातिवादी कहे जाने पर प्रदेश के अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने कड़ी आपत्ति जताते हुये कहा कि उनका यह बयान अज्ञानता का परिचायक है।
उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर भी हैं। उनपर किसी टिप्पणी के पहले श्रीमती वाड्रा पीठ का इतिहास, सरोकार, इसके प्रतिनिधियों के राजनीति में आने के मकसद भी जान लेतीं तो अच्छा रहता। निर्मल ने कहा कि योगी जी के गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ मीनाक्षीपुरम की धर्मांतरण की घटना का विस्तार उत्तर भारत में न हो इसके लिए राजनीति में आए। फिर तो ताउम्र हिंदू समाज को जोडऩे के मिशन में ही लगे रहे।
इसी क्रम में उन्होंने संतों के साथ वाराणसी में डोम राजा के भोजन किया। सामूहिक सहभोज की उनके द्वारा प्रारम्भ परंपरा अब भी जारी है। दलित कामेश्वर चौपाल के हाथों अयोध्या में राममंदिर के शिलापूजन की पहली ईंट रखवाया। श्री योगी के गुरु अवेद्यनाथ जी की सामाजिक समरसता की सोच का बड़ा उदाहरण था। पटना के एक मंदिर में उनकी ही पहल से पहली बार एक दलित पुजारी की नियुक्ति हुई। योगीजी उसी सिलसिले को आगे बढ़ा रहे हैं।
श्री निर्मल ने कहा कि प्रियंका वाड्रा को शायद जानबूझकर याद न करना चाहें, पर अयोध्या में दलित महाबीर के यहां प्रेम से भोजन करती हुई योगीजी की तस्वीर और उस परिवार के आंखों से छलकती ख़ुशी अब भी लोगों के दिलो दिमाग पर चस्पा है।
गौरतलब है कि श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा ने शुक्रवार को अपने एक ट्वीट में लिखा है कि उप्र के मुख्यमंत्री ने जातिवादी बयान देकर अपनी दलित विरोधी मानसिकता दिखाई है। उन्होंने लिखा कि देश के करोड़ों दलितों का अपमान भारत बर्दाश्त नहीं करेगा।