नई दिल्ली, नेशनल अर्काइव्स ऑफ इंडिया ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस से संबंधित कई दस्तावेजों को सार्वजनिक किया है जिसमें एक अमेरिका द्वारा भारत को 1978 में सौंपी गयी रिपोर्ट भी शामिल है। इस रिपोर्ट के अनुसार, प्लेन क्रैश में नेताजी के मौत का कोई सबूत नहीं मिला था। भारत सरकार ने उस वक्त इसे सार्वजनिक करना तो दूर, मामले की छानबीन कर रहे मुखर्जी कमीशन तक को बताना उचित नहीं समझा। वर्ष 1978 में अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने रिपोर्ट सब्मिट की थी जिसके अनुसार 1945 में विमान दुर्घटना के दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत का कोई सबूत नहीं था, संभवतः इस रिपोर्ट को भारतीय सरकार द्वारा रोक लिया गया था।
1945 में विमान दुर्घटना के दौरान नेताजी की मौत की जांच रिपोर्ट अमेरिकी खुफिया विभाग ने तैयार की थी इस रिपोर्ट के अनुसार नेताजी की मौत का कोई सबूत नहीं मिला था। वाशिंगटन में भारतीय दूतावास द्वारा सूचनाओं को एकत्रित किया गया था और बाद में दिल्ली स्थित विदेश मंत्रालय को भेज दिया गया।
बुधवार को नेताजी के फाइलों को नेशनल अर्काइव्स ऑफ इंडिया ने सार्वजनिक किया, जिससे पता चला कि मुखर्जी कमिशन को इन रिपोर्ट्स का एक्सेस नहीं दिया गया था। 18 अगस्त 1945 को ताइवान में बोस की मौत की जांच सबसे पहले जनरल डगलस मैक आर्थर के नेतृत्व में अमेरिकी मिलिटरी द्वारा साउथ इस्ट एशिया में किया गया। इस जांच की रिपोर्ट वाशिंगटन में भारतीय दूतावास को सौंप दी गयी।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, 1978 के जुलाई में दूतावास के दूसरे सचिव एस सुंदरम ने दिल्ली में विदेश मंत्रालय को ये महत्वपूर्ण कागजात सौंप दिया साथ ही यह भी कहा कि ये कागजात नेताजी की मौत के रिपोर्ट्स की सत्यता प्रमाणित नहीं करते हैं। 3 जुलाई 1946 को वॉर डिपार्टमेंट (अब पेंटागन) ने सूचना दी कि हमारे खुफिया विभाग के फाइल्स के जरिए कोई भी सीधा सबूत इस बात को नहीं बताता कि प्लेन क्रैश में नेताजी की मौत हुई है। रहस्यमयी तौर पर गायब हुए नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में कई बातें कहीं जाती रही हैं।