नई दिल्ली, भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास एजेंडा पर बनी एक फिल्म मोदी का गांव पर रोक लगा दी है। सेंसर बोर्ड ने फिल्म पर रोक लगाने के लिए पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की बात कही है। वहीं फिल्म मोदी का गांव का निर्माण करने वाले सुरेश झा ने सेंसर बोर्ड द्वारा फिल्म पर रोक लगाए जाने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से मदद की गुहार लगाई है। फिल्म के निर्माता झा ने बताया कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) द्वारा फिल्म की रिलीज पर रोक लगाए जाने के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय का दरवाजा खटखटाया है।
मध्यम बजट वाली इस फिल्म के सह निर्माता झा ने सेंसर बोर्ड पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है। सुरेश झा ने तुषार ए. गोयल के साथ मिलकर संयुक्त रूप से इस फिल्म का निर्देशन किया है। फिल्म इसी शुक्रवार को रिलीज होने वाली थी लेकिन परमिशन नहीं मिलने पर इस पर अब संकट का बादल मंडराने लगे हैं। झा ने कहा, सेंसर बोर्ड के अधिकारियों ने हमें बताया कि उन्हें फिल्म पर तीन चीजों को लेकर अापत्ति है। अब कोई रास्ता नहीं बचा कि मैं इस फिल्म को रिलीज कर सकूं। इसलिए मैं अदालत का दरवाजा खटखटाने पर विचार कर रहा हूं। झा ने कहा, सेंसर बोर्ड ने ऐसी शर्ते रखी हैं, जिनका पालन करना इतना कठिन है कि मुझे अपनी फिल्म को रिलीज करने का ख्याल ही छोड़ना पड़ सकता है। फिल्म निर्देशक ने कहा, उनका कहना है कि मैं प्रधानमंत्री कार्यालय और निर्वाचन आयोग से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेकर आऊं..मेरे ख्याल से ऐसा पहली बार है जब किसी फिल्म को सेंसर बोर्ड की हरी झंडी पाने के लिए पहले पीएमओ और आयोग से अनापत्ति हासिल करने की बात की जा रही है। वहीं सेंसर बोर्ड का कहना है, फिल्म में प्रधानमंत्री के चित्रण को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय का अनापत्ति प्रमाणपत्र पेश करें। (फिल्म में विकास योजनाओं, पाकिस्तान द्वारा उरी में किए गए हमले तथा प्रधानमंत्री से संबंधित खबरों और भाषणों का चित्रण है।) सुरेश झा ने पीएमओ को लिखा है, अपनी फिल्म के जरिए हमने प्रधानमंत्री मोदी की ईमानादार कार्यशैली और उनके स्वच्छ भारत, स्मार्ट इंडिया और डिजिटल इंडिया के सपने को प्रस्तुत किया है। झा ने बताया कि उन्होंने पीएमओ के अधिकारियों के लिए फिल्म के विशेष प्रदर्शन की पेशकश भी रखी है और प्रधानमंत्री मोदी से इस संबंध में मुलाकात करने का समय भी मांगा है।