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फिल्म रिव्यू: हल्की फुल्की हॉरर कॉमेडी है ‘तूतक तूतक तूतिया’

moviअंग्रेजी फिल्मों की देखा-देखी बॉलीवुड में भी हॉरर-कॉमेडी फिल्मों का एक नया ट्रेंड देखा जा रहा है। इन फिल्मों का सीधा सा मतलब है कि आप ऐसी कोई फिल्म देखते समय डरें भी और साथ में हंसे भी। वैसे डर के समय हंसी तो राज रीबूट देख कर ही आ सकती है। इस जॉनर के तहत साल 2013 में आई सैफ अली खान की गो गोवा गॉन और 2014 में आई गैंग ऑफ गोस्ट्स के बाद अब सोनू सूद की ‘तूतक तूतक तूतिया’ आई है, जिसका टाइटल मशहूर पंजाबी सिंगर मलकीत सिंह के सुपरहिट गीत के नाम पर रखा गया है। हालांकि क्यों रखा गया है, ये समझ से परे है, क्योंकि फिल्म से इसका कोई संबंध नजर तो नहीं आता। तो आइये आपको बताते हैं कि डरते समय हंसा कैसे जा सकता है। ये कहानी है कृष्णा  की, जिसे मजबूरी में अनमने मन से शादी करनी पड़ती है देवी  से। देवी गांव से आई है और मुंबई जैसे बड़े शहर में मिसफिट है। ऐसा कृष्णा का मानना है। शादी के बाद कृष्णा-देवी एक नए घर में शिफ्ट हो जाते हैं, जहां कृष्णा की जिंदगी में ऊठा-पटक चालू हो जाती है। इस नए घर में आते ही देवी अजीब-सी हरकतें करने लगती है।

जल्द ही कृष्णा को पता चल जाता है कि देवी के शरीर में रूबी नामक एक युवती का भूत घुस गया है। दरअसल कृष्णा-देवी जिस घर में किराए पर आए हैं वहां पहले कभी रूबी रहा करती थी, जो फिल्मों में छोटे-मोटे रोल किया करती थी। एक दिन अचानक रूबी आत्महत्या कर लेती है, जिसके बाद से उस मकान में कोई रहने नहीं आया। भूतहा मकान की कहानी सुन कर कृष्णा वहां से भागने का प्लान बनाता है, लेकिन रूबी उसको कहीं जाने नहीं देती। रूबी, देवी के शरीर का इस्तेमाल अपने एक मकसद के लिए करना चाहती है। चूंकि देवी बेहद खूबसूरत है, इसलिए रूबी उसके शरीर का इस्तेमाल कर एक नामचीन और सफल अभिनेत्री बनना चाहती है। कृष्णा को यह गवारा नहीं। रूबी की आत्मा देवी के शरीर में प्रवेश कर मनमानी करती रहती है। उसे एक फिल्म भी मिल जाती है, जिसमें उसका हीरो है राज खन्ना ।

राज, इंडस्ट्री का सुपरस्टार है। हर कोई उसके साथ काम करना चाहता है। साथ काम करते-करते राज रूबी को चाहने लगता है और उससे शादी करना चाहता है। ये सब देख कर कृष्णा का दिमाग चकरा जाता है। वह देवी को किसी भी तरह से रूबी की आत्मा से मुक्त कराना चाहता है। इसके लिए वह रूबी के सामने एक शर्त भी रखता है, जिसे रूबी पहले तो मान लेती है पर नामचीन एक्ट्रेस बनने के बाद वो मुकर जाती है। देवी को मुक्त कराने की कृष्णा की हर कोशिश नाकाम रहती है और देखते ही देखते एक दिन राज अपनी और रूबी की शादी का ऐलान कर देता है। अब आप ही सोचिए कि ऐसी कहानी से डर लगेगा कि हंसी आएगी। डर तो न लगे, लेकिन हंसी जरूर आएगी। तो फिर ये हुई एक कॉमेडी फिल्म। खैर, फिल्म की एक अच्छी बात ये कि बतौर अभिनेता प्रभुदेवा इस फिल्म के जरिये पूरे खुले हुए नजर आए हैं। अपनी पिछली दो फिल्मों एबीसीडी और एबीसीडी 2 के मुकाबले इस फिल्म में उन्हें ज्यादा स्पेस मिला है और उन्होंने कॉमेडी में कई अच्छे सीन्स भी दे डाले हैं। डांस में तो वो है ही माहिर। इस फिल्म में भी उनके कई डांसिंग नंबर्स हैं, जो पल पल मजा देते हैं।

खासतौर से फिल्म का टाइटल ट्रैक, जो सोनू, तमन्ना और प्रभुदेवा पर फिल्माया गया है, में प्रभु-तमन्ना की जोड़ी जबरदस्त लगती है। लेकिन ये फिल्म अपनी कमजोर कहानी और पटकथा एवं संवाद की वजह से मार खा जाती है। इस कहानी में अगर थोड़ी बहुत मेहनत और की जाती तो शायद ये असर कर जाती। रूबी असल में थी कौन? एक चेहरे के रूप में रूबी को दिखाया ही नहीं गया है। एक रोशनी-सी है जो बस देवी के शरीर में प्रवेश करती रहती है। बस वही रूबी है। शायद यही वजह है कि रूबी की कहानी से भावनात्मक रूप से आप जुड़ नहीं पाएंगे।

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