भोपाल, फेसबुक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जनक्रांति की हिमायत करने वाली टिप्पणी को कथित तौर पर लाइक करने करने पर आईएएस आधिकारी अजय सिंह गंगवार को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार ने गंगवार को ई-मेल के जरिये सोमवार को यह नोटिस भेजा। आईएएस अधिकारी ने जनवरी माह में प्रधानमंत्री के खिलाफ फेसबुक पर एक पोस्ट ‘मोदी के खिलाफ जनक्रांति होनी चाहिए’ को कथित तौर पर लाइक किया था।गंगवार को भेजे एक लाइन के नोटिस में मोदी विरोधी उस तथाकथित पोस्ट पर सात दिन के अंदर जवाब देने को कहा है। गंगवार ने फेसबुक पर 23 जनवरी 2015 को यह पोस्ट चस्पां की थी। दरअसल ‘जनसत्ता’ के संपादकीय पेज में छपे एक आलेख का इसमें संदर्भ दिया गया था। आलेख में मोदी के मेक इन इंडिया कार्यक्रम की तीखी आलोचना की गई थी।
हालांकि, गंगवार ने कहा, ‘उन्होंने 23 जनवरी 2016 को मोदी के खिलाफ फेसबुक पर न तो कोई पोस्ट किया है और न ही किसी पोस्ट को लाइक किया है, जिसके लिए उन्हें प्रदेश सरकार द्वारा नोटिस जारी किया गया है।’ गंगवार ने कहा, ‘अगर मैंने 23 जनवरी को फेसबुक पर कुछ पोस्ट किया है या किसी पोस्ट को लाइक किया है, तो कारण बताओ नोटिस जारी करने में इतना समय क्यों लिया गया। मुझे एक सप्ताह में नोटिस का जवाब देने के लिए कहा गया है। मैं अपने जवाब में यह बताने वाला हूं कि फेसबुक पर मेरी टाइमलाइन पर मैंने मोदी के खिलाफ कोई पोस्ट नहीं की है और न ही ऐसी किसी पोस्ट को मेरे द्वारा लाइक किया गया है।’ उन्होंने कहा, ‘पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू के बारे में फेसबुक पर पोस्ट करने के कारण मेरा तबादला कर दिया गया।’ गंगवार का तर्क था कि आज के आधुनिक और रोशनखयाल समाज की बुनियाद पंडित नेहरू ने ही रखी थी। मौजूदा सरकार आज जिस तरह नए-नए नायक गढ़ रही है, ऐसे दौर में नेहरू की प्रशंसा करने में क्या बुराई है। लेकिन मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार को उनका यह रुख रास नहीं आया और उनकी कलेक्टरी छीनकर उन्हें भोपाल के महत्त्वहीन महकमे में भेज दिया।
गंगवार ने आगे कहा कि मैं सरकार से उस तथाकथित पोस्ट के स्रोत के बारे में पूछना चाहूंगा। जरूर उन्हें सोशल मीडिया पर यह मसाला मिला होगा। वे लोग ऐसा इसलिए कर रहे हैं कि नेहरू पर टिप्पणी के बाद मेरा तबादला करना सरकार के लिए उल्टा दांव पड़ गया है। हर तरफ उनकी आलोचना हो रही है। इससे ध्यान हटाने के लिए वे अब इस तरह का कदम उठा रहे हैं। लेख को लेकर गंगवार के कथित पोस्ट या ‘लाइक’ पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रधान सचिव एसके मिश्रा, जिनके पास सामान्य प्रशासन विभाग भी है, का कहना है कि सरकार ने कार्रवाई तब की जब मोदी विरोधी पोस्ट की ओर ध्यान दिलाया गया। नेहरू पर गंगवार की टिप्पणी से इस नोटिस का कोई लेना-देना नहीं है। एक हफ्ते पहले तक 54 वर्षीय गंगवार बड़वानी के जिलाधिकारी थे। फेसबुक में नेहरू की तारीफ के पुल बांधने के बाद उन्हें भोपाल सचिवालय में उप सचिव के तौर पर तैनाती दे दी गई। कहा गया कि अगले आदेश तक यह नियुक्त अस्थायी तौर पर की गई है।
इस घटनाक्रम को वैचारिक जंग बताते हुए गंगवार कहते हैं कि बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर जो भी सरकारी नीति है, वह संविधान के अनुसार होनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होगा तो इसे अदालत में चुनौती दी जाएगी। अपने रुख पर कायम आइएस अधिकारी ने कहा कि फेसबुक पर किसी चीज को ‘शेयर’ करना या ‘लाइक’ करना, लाइब्रेरी में किसी को किताब हवाले करने जैसा है। क्या इसके लिए भी किसी को सजा हो सकती है। सरकार पर घेराबंदी का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि सरकार उनको ही तरजीह दे रही है, जो उसकी नीतियों-विचारों को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की कार्रवाई तब वाजिब मानी जाती जब मैंने किसी सरकारी कार्य को करने से मना किया होता। गंगवार ने यह भी कहा, ‘मैं पांच साल तक बच्चों के आधार कार्ड बनवाने के पक्ष में नहीं हूं, क्योंकि उनका कार्ड खो सकता है, उनका चेहरा बदल सकता है, फिर भी मैं इस आदेश का पालन कर रहा हूं।’ यह पूछने पर कि क्या उनका राजनीति में उतरने का इरादा है, उन्होंने कहा कि मैं एक सामाजिक व्यक्ति हूं, और एक सामाजिक व्यक्ति कभी भी राजनीतिक हो सकता है।