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बंगलादेश में बीएनपी.जमात के शासन में कई पत्रकारों की हत्या

ढाका ,  बंगलादेश में बंगलादेश नेशनलिस्ट पार्टी. ;जमातद्ध के शासनकाल में कई पत्रकारों की हत्या होने के कई मामले सामने आए हैं।
ढाका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अबू मोहम्मद शफीउल आलम भुंईया ने रविवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि वर्ष 2000 से लेकर अब तक 20 पत्रकारों की हत्या की जा चुकी है जिनमें से 14 पत्रकारों की हत्या वर्ष 2000 से 2006 के बीच हुई है।

प्रोफेसर आलम ने कहा कि हत्या के इन मामलों की जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है। वहीं खुलना के पत्रकार गोरंग नंदी के अनुसार वर्ष 2002 से लेकर 2005 तक का समय दक्षिण.पश्चिमी क्षेत्र में पत्रकारों के लिए काले अध्याय के रूप में याद किया जाता है। उन्होंने कहा कि कई पत्रकारों को तो खुलना छोड़कर भागना पड़ा और ढाका मेंं शरण लेनी पड़ी थीए वहीं माणिक साहाए हुमांयू कबीर बालू, गौतम दास, हारुन .उर.राशिदए शुकुर हुसैन और बेलालुद्दीन जैसे बड़े पत्रकारों की हत्या के चर्चे सबसे ज्यादा रहे।

प्रोफेसर भुंईया ने कहा कि लंबी कानूनी प्रक्रिया तथा सबूतों और गवाहों की कमी का होना न्याय मिलने में देरी का कारण हैए साथ ही उन्होेंने पत्रकारों की हत्याओं की जाँच के लिए विशेष न्यायाधिकरण के गठन करने की मांग की। बंगलादेश पत्रकार संघ के पूर्व अध्यक्ष मोंजुरुल एहसान बुलबुल ने वर्ष 2001ए 2005 और 2006 के दिनों को याद करते हुए पत्रकारों की हत्याओं को लेकर चिंता जताई। उन्होंने मौजूदा शेख हसीना सरकार की भी जमकर आलोचना की।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री शेख हसीना के आश्वासन के बाद भी सरकार इन हत्याओं की जाँच को आगे नहीं बढ़ा रही हैए जिससे न्याय मिलने मेंं देरी हो रही है। ढाका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शखावत अली खान ने पत्रकारों के समूह के विभाजन को लेकर भी अपनी बात रखी।
पत्रकार बालू के पुत्र अश्कि कबीर ने अपने पिता को याद करते हुए कहा कि 2004 में जब उनके पिता की हत्या की गई तो वे सिर्फ 13 साल के थेए उनके पिता की हत्या उनकी माँ के देहांत के 3 साल बाद की गई।