नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माता-पिता से बच्चों को वैदिक गणित सिखाने का आह्वान करते हुए रविवार को कहा कि इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा और विश्लेषण शक्ति में वृद्धि होगी।
श्री मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक कार्यक्रम मन की बात में लोगों से संवाद करते हुए कहा कि बच्चों में गणित का डर समाप्त करने के लिए वैदिक गणित महत्वपूर्ण हो सकता है। यह रुचि परक है। वैदिक गणित बच्चों में गणित को मुश्किल से मज़ेदार बना सकता है। यही नहीं, वैदिक गणित से विज्ञान की समस्या भी सुलझा सकते हैं। उन्होंने कहा, ” मैं चाहूँगा, सभी माता-पिता अपने बच्चों को वैदिक गणित जरुर सिखाएँ। इससे, उनका आत्मविश्वास तो बढ़ेगा ही, उनके मस्तिष्क की विश्लेषण शक्ति भी बढ़ेगी और हाँ, गणित को लेकर कुछ बच्चों में जो भी थोड़ा बहुत डर होता है, वो डर भी पूरी तरह समाप्त हो जाएगा।”
उन्होंने कहा ,“ गणित तो ऐसा विषय है जिसे लेकर हम भारतीयों को सबसे ज्यादा सहज होना चाहिए। गणित को लेकर पूरी दुनिया के लिए सबसे ज्यादा शोध और योगदान भारत के लोगों ने दिया है। शून्य, यानी, जीरो की खोज और उसके महत्व के बारे में आपने खूब सुना भी होगा। अगर जीरो की खोज न होती, तो शायद हम, दुनिया की इतनी वैज्ञानिक प्रगति भी न देख पाते। कैलकुलेटर से लेकर कम्प्यूटर तक – ये सारे वैज्ञानिक आविष्कार जीरो पर ही तो आधारित हैं।”
श्री मोदी ने ‘यत किंचित वस्तु तत सर्वं, गणितेन बिना नहि ’ का उल्लेख करते हुए कहा कि इस पूरे ब्रह्मांड में जो कुछ भी है, सब कुछ गणित पर ही आधारित है। आप विज्ञान की पढ़ाई करिए, तो इसका मतलब आपको समझ आ जाएगा।
उन्होंने कहा ,“ गणित के सहारे वैज्ञानिक समझ के इतने विस्तार की कल्पना हमारे ऋषियों ने हमेशा से की है। हमने अगर शून्य का अविष्कार किया, तो साथ ही अनंत को भी अभिव्यक्त किया है। सामान्य बोल-चाल में जब हम संख्याओं की बात करते हैं। वेदों में और भारतीय गणित में ये गणना बहुत आगे तक जाती है।”
श्री मोदी ने परीक्षा पर चर्चा का जिक्र किया और कहा कि एक बहुत पुराना श्लोक प्रचलित है ‘एकं दशं शतं चैव, सहस्रम् अयुतं ’तथा। ‘लक्षं च नियुतं चैव, कोटि: अर्बुदम् एव च। वृन्दं खर्वो निखर्व: च, शंख: पद्म: च सागर:।अन्त्यं मध्यं परार्ध: च, दश वृद्ध्या यथा क्रमम्’। उन्होंने कहा कि इस श्लोक में संख्याओं का बताया गया है। जैसे कि – एक, दस, सौ, हज़ार और अयुत । लाख, नियुत और कोटि यानी करोड़।
इसी तरह ये संख्या – शंख, पद्म और सागर तक तक जाती हैं। एक सागर का अर्थ होता है कि 10 की 57 जीरो। यही नहीं इसके आगे भी, ओघ और महोघ जैसी संख्याएँ होती हैं। एक महोघ होता है – 10 की 62 जीरो।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय गणित में इनका प्रयोग हजारों सालों से होता आ रहा है। उन्होंने आचार्य पिंगला, आर्यभट्ट, रामानुजन जैसे गणितज्ञों का उल्लेख करते हुए कहा,“ भारतीयों के लिए गणित कभी मुश्किल विषय नहीं रहा, इसका एक बड़ा कारण हमारी वैदिक गणित भी है। आधुनिक काल में वैदिक गणित का श्रेय श्री भारती कृष्ण तीर्थ जी महाराज को जाता है।”
प्रधानमंत्री ने वैदिक गणित का प्रचार प्रसार करने वाले कोलकाता के गौरव टेकरीवाल के साथ अपनी बातचीत भी साझा की।