लखनऊ, उत्तर प्रदेश विधानमंडल के बजट सत्र की शुरुआत हंगामे के साथ हुई। आज पहले दिन विधान मंडल के संयुक्त अधिवेशन में अभिभाषण करने पहुंचे राज्यपाल राम नाईक को विरोध झेलना पड़ा। बसपा, कांग्रेस व रालोद सदस्यों द्वारा प्रदेश सरकार विरोधी नारेबाजी के बीच अभिभाषण की रस्म अदायगी की गयी। 110 पृष्ठों वाला लिखित अभिभाषण मात्र 17 मिनट में समेटना पड़ा। सत्ता पक्ष की ओर से मेजें थपथपाकर स्वागत किया जाता रहा वहीं भाजपा ने खामोशी ओढ़े रखीं। विधान मंडप में राज्यपाल राम नाईक के साथ विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय व विधानपरिषद के कार्यकारी सभापति ओम प्रकाश शर्मा के पहुंचते ही बसपा, कांग्रेस व रालोद सदस्यों ने राज्यपाल वापस जाओ जैसे नारे लगाने शुरू कर दिए। सरकार विरोधी नारे लिखी टोपी पहने हुए बसपा सदस्यों ने सीटों पर खड़े होकर हंगामा शुरू किया और बैनर लहराए। कांग्रेस एवं रालोद सदस्य भी सरकार विरोधी नारे लिखे बैनर लेकर वेल में पहुंच गए। कांग्रेस सदस्य राहुल गांधी की तस्वीर छपी टोपी पहने थे। व्यवस्था बनाने के अनुरोध के बाद भी शोर शराबा चलता रहा तो राज्यपाल राम नाईक ने अभिभाषण पढना शुरू किया। सरकार की उपलब्धि का बखान करते हुए चार वर्ष में सभी वादे पूरे कर विकास को गति देने का दावा किया। भारी शोर शराबे के बीच राज्यपाल ने बमुश्किल 17 मिनट में अभिभाषण की रस्म पूरी कर दी और 110 पृष्ठ के अभिभाषण को पूरा न कर सके। लगभग 11.20 बजे सदन को 12.30 बजे तक स्थगित कर दिया गया। बमुश्किल निपटाईं औपचारिकताएं:- विधानमंडल में आज अभिभाषण के दौरान हंगामा और शोर शराबे की पुनरावृत्ति सदन में फिर देखने को मिली। विधान सभा के अध्यक्ष माताप्रसाद पांडेय ने अभिभाषण पढ़ा लेकिन विपक्ष हंगामा करता रहा। एजेंडे की औपचारिकताएं बमुश्किल निपटायी गयी। नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने अभिभाषण को झूठ का पुलिंदा करार दिया तो कांग्रेस विधानमंडल दल नेता प्रदीप माथुर का कहना था कि सरकार जनता को धोखा दे रही है। रालोद नेता दलवीर सिंह ने भी अभिभाषण की उपलब्धियों को सिरे से खारिज किया। उधर विधानपरिषद में भी यही स्थिति देखने को मिली। वेल में नारेबाजी कर रहे विपक्ष के हंगामे के कारण विधान परिषद की कार्यवाही बमुश्किल पांच मिनट चली। कार्यकारी सभापति ओम प्रकाश शर्मा ने अभिभाषण पढ़ा और एजेंडे का कामकाज भी निपटाया। सरकार विरोधी नारे लिखे बैनर:- विधानमंडल में आज दोपहर 12.30 बजे सभापति ने जैसे ही अभिभाषण को पढना शुरू किया, नेता प्रतिपक्ष नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने उठकर यह कहते हुए विरोध किया कि जब संयुक्त बैठक में राज्यपाल ने ही अभिभाषण को पूरा नहीं पढ़ा तो इसे पढने का क्या मतलब है? टोकने को नजरअंदाज करते हुए सभापति ने अभिभाषण को पढना जारी रखा तो बसपा, कांग्रेस, भाजपा व राष्ट्रीय लोक दल के सदस्य सरकार विरोधी नारे लिखे बैनर लेकर सभापति के आसन के सामने आकर नारेबाजी करने लगे। शोर शराबे के बीच सभापति ने 11 मार्च तक के तारीखवार कार्यक्रम के बारे में कार्य परामर्शदात्री समिति की सिफारिश सदन की मंजूरी के लिए प्रस्तुत की। अभिभाषण पर चर्चा नौ से:- विधानसभा अध्यक्ष माताप्रसाद पांडेय ने सदन की अगली बैठक आठ फरवरी को आहूत करने की जानकारी देते हुए बताया कि राज्यपाल के अभिभाषण पर नौ, 10 व 11 फरवरी को चर्चा होगी। इससे पूर्व आठ फरवरी को निधन की सूचनाएं दी जाएगी। राज्यपाल की अपील अनसुनी:- राज्यपाल राम नाईक ने एक नयी व सार्थक पहल करते हुए सभी दलीय नेताओं को पत्र लिखकर उनसे अभिभाषण के दौरान उसी प्रकार शांति बनाए रखने की अपील की थी जैसी संसद के संयुक्त सत्र को राष्ट्रपति के संबोधन के दौरान देखने को मिलती है। बहरहाल इस अपील का असर केवल भाजपा सदस्यों पर हुआ जो राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान शांत रहे। बसपा, कांग्रेस, रालोद व कुछ अन्य सदस्य राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान सरकार विरोधी नारे लगाते हुए हंगामा करते रहे। बदली परिषद की सूरत-सीरत:- उत्तर प्रदेश विधानमंडल के बजट सत्र में विधान परिषद की सूरत ही नहीं, सीरत बदली रही। उच्च सदन में न सिर्फ विभिन्न दलों के संख्याबल का अंकगणित पिछले सत्र से जुदा रहा बल्कि बदली हुई परिस्थितियों में इसका असर दलों के सदस्यों के हाव-भाव में भी झलका। सत्तापक्ष में रहने के बावजूद उच्च सदन में बहुमत से दूर समाजवादी पार्टी के लिए सुकून की बात यह है कि दो सदस्यों का कार्यकाल खत्म होने के बावजूद विधान परिषद में वह अब सबसे बड़ा दल बनकर उभरी है। वहीं संख्याबल में सबसे भारी बहुजन समाज पार्टी अब अपने एक-तिहाई से ज्यादा सदस्यों की विदाई के बाद अपना रुतबा खो चुकी है। कांग्रेस की सदस्य संख्या भी दो से घटकर एक रह गई है। वहीं सभापति गणेश शंकर पांडेय का कार्यकाल खत्म होने के बाद अब कार्यकारी सभापति के तौर पर उच्च सदन के संचालन की जिम्मेदारी विधान परिषद के वरिष्ठतम सदस्य ओम प्रकाश शर्मा संभालने वाले हैं।