लखनऊ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बरेली में निर्माणाधीन नाथ कॉरिडोर शहर को एक विशिष्ट पहचान देगा।
मुख्यमंत्री ने यहां सर्किट हाउस में नाथ कॉरिडोर परियोजना की समीक्षा करते हुए कहा कि कोई भी शहर या जनपद जब तक अपनी पहचान को स्थान नहीं देगा तब तक वह समृद्ध नहीं हो सकता है। नाथनगरी बरेली में निर्माणाधीन नाथ कॉरिडोर की सड़कों को चार लेन के बनाया जाये और कॉरिडोर पर स्थित भूमि का व्यवसायिक उपयोग भी किया जाए, जिससे प्राधिकरण व नगर निगम की आय में भी वृद्धि हो।
उन्होने कहा कि बरेली की पहचान भगवान शिव को बरेली में विशेष महत्व दिया जाना बहुत आवश्यक है। विकास कार्यों से प्रभावित मंदिर के लोगों के साथ बैठकर आपसी सहमति से मूल मंदिर व उसके मुख्य मन्दिर के अतिरिक्त अन्य मन्दिरों को शास्त्रीय पद्धति से स्थानान्तरित किया जाए, जैसे बनारस में किया गया है और मन्दिर परिसरों को वैदिक पद्धति पर विकसित किया जाए। उन्होंने कहा कि सभी मंदिरों को एक समान प्रकार से वैदिक वास्तुकला के आधार पर विकसित किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मन्दिर परिसर में श्रद्धालुओं के लिए आवश्यक मूलभूत सुविधाओं जैसे- पार्किंग, पेयजल, विश्राम हेतु यात्री शेड, अत्याधुनिक प्रकाश व्यवस्था एवं ध्वनि व्यवस्था, जूता स्टैण्ड, शौचालय आदि को मन्दिर की वास्तु कला के अनुसार विकसित किया जाए। रूद्राभिषेक, भण्डारा आदि के लिए भूतल पर हॉल का निर्माण किया जाए तथा धार्मिक अनुष्ठानों एवं कथा कर्मकाण्डों के लिए प्रथम तल पर बहुउद्देशीय हॉल का निर्माण किया जाए।
उन्होने कहा कि मन्दिरों पर वैदिक लाईब्रेरी का विकास किया जाए तथा वैदिक साहित्यों की डिजिटल फार्म में उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। प्रसाद एवं पूजन सामग्री की व्यवस्था हेतु एक समान प्रकार की क्योस्क / दुकानों का निर्माण किया जाए। श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु प्राकृतिक एवं क्रत्रिम जल स्रोतों को भी विकास किया जाए।
योगी ने यह भी निर्देश दिये कि शहरी क्षेत्र में नदी, तलाब आदि जल स्रोतों का पुनरुद्धार किया जाए। रामगंगा नदी को चैनेलाइज करते हुए रिवर फ्रन्ट विकसित किया जाए तथा अमृत योजना के तहत रामगंगा नदी के जल का उपयोग शहर में पेय जल के रूप में किया जाए इससे भू-जल सुरक्षित रहेगा तथा लोगों को पर्याप्त पेय जल भी उपलब्ध होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नाथ सर्किट का डिजिटल टूरिस्ट मैप भी तैयार कराया जाए, जिससे लोगों को यह पता चल पायेगा कि वह मन्दिरों तक कैसे पहुँच सकते है। कॉरिडोर के विकास में स्थानीय लोगों को प्रमुखता से जोड़ा जाए ताकि वह कॉरिडोर से अपना भावनात्मक लगाव महसूस करें।