बांदा, उत्तर प्रदेश में बांदा के नरैनी क्षेत्र एक किसान ने अपनी बेटी की शादी ‘इको फ्रेंडली’ तरीके से कर लोगों में एक मिसाल कायम किया है। लोगों ने इस शादी को ‘ग्रीन मैरिज’ कहा है। हुआ यूं कि गंगा पुरवा गांव के तेजा निषाद की बेटी मैकी का विवाह पडोसी गांव गाजीपुर के गणेश के साथ संपन्न हुआ।
इस विवाह में पर्यावरण को प्रभावित करने वाली किसी भी सामग्री का प्रयोग नहीं किया गया। गंगा पुरवा गांव के तेजा निषाद की बेटी मैकी का विवाह पडोसी गांव गाजीपुर के गणेश के साथ संपन्न हुआ। इस विवाह में पर्यावरण काे प्रभावित करने वाली किसी भी सामग्री का प्रयोग नहीं किया गया।
दुल्हा गणेश बस, कार और ट्रैक्ट्रर की बजाए बैलगाडियों से बारात लेकर दुल्हन के दरवाजे पर पहुंचा। तोरणद्वार और विवाह स्थल को आम खजूर केला के पत्तो से सजाया गया था। बरात को देखने के लिए आस-पास के कई गांव के लोग इकट्ठा हुए थे।देशी गीतों की धुन में पुरानी रस्मों के साथ विधि-विधान से जयमाल तथा शादी पूरी हुई।
इसी बीच, बारातियों को खाने के लिए टेबल-मेज के बजाय बैठने के लिए जमीन पर टाट बिछाया गया। उन्हें महुआ के पत्तों से बने दोना-पत्तलों पर खाना परोसा गया जिसे उन्होंने बडे ही चाव से ग्रहण करने के उपरांत अपने आप में इसे अविष्मरणीय विवाह बताया।
शादी में वन विभाग के कर्मचारी और अधिकारी भी शामिल हुए और वर-कन्या ने वृक्षारोपण कर आशीर्वाद लिया दहेज मुक्त शादी में कन्यादान गांव की प्रधान सुमनलता और उसके पति ने किया। यशवंत सिंह पटेल नामक शिक्षक ने शादी का खर्च उठाया। सुबह विदाई से पहले पूजा-पाठ के साथ दूल्हा-दुल्हन से पौधारोपण करवाया गया, साथ ही पूरे गांववालों को वृक्षारोपण की शपथ दिलाई गई।
बेटी मैकी की विदाई के समय पिता तेजा दो पौधे पीपल-अर्जुन का लाकर दहेज के रूप में दामाद गणेश को दिया। उन्होंने बेटी से कहा ससुराल में पूरे संस्कार से रहना। खुद भी वृक्षारोपण करना और गांव वालों को इसके लिए प्रेरित करना।