अहमदाबाद, राष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेस समेत 17 विपक्षी दलों के गठबंधन की उम्मीदवार तथा पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने आज अपने चुनाव अभियान की विधिवत शुरुआत से ठीक पहले यहां महात्मा गांधी के ऐतिहासिक साबरमती आश्रम का दौरा किया और बाद में कहा कि देश के सर्वोच्च पद के लिए होने वाले इस चुनाव को जातीय आधार पर दलित बनाम दलित के तौर पर प्रस्तुत करने के प्रयासों की निंदा होनी चाहिए।
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मीरा कुमार ने सुबह आश्रम का दौरा किया तथा बापू के निवास हृदय कुंज में चरखा भी चलाया। बाद में वह यहां गुजरात कांग्रेस मुख्यालय में आई और पार्टी विधायकों के साथ बैठक की। इसके बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी के नेतृत्व में विचारधारा की समानता के आधार पर 17 विपक्षी दलों ने उन्हें प्रत्याशी बनाया है और उन्होंने सभी निर्वाचकों को पत्र लिख कर अंतरात्मा की आवाज पर वोट देने की अपील की है और उनसे इस ऐतिहासिक अवसर को नहीं गंवाने का आग्रह किया है।
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उन्हें विश्वास है कि वे उन्हे समर्थन देंगे। मीरा कुमार ने कहा कि इस चुनाव को जब दलित बनाम दलित के रूप में प्रस्तुत किया जाता है तो उन्हें खुशी होती है कि ऐसी विचारधारा वालों का नकाब उतर रहा है और उनकी वास्तविकता सामने आ रही है। उन्होंने कहा कि उन्हें पता है कि देश में कुछ लोग जात-पात में विश्वास करते हैं पर 2017 में राष्ट्रपति जैसे सर्वोच्च पद के चुनाव के उम्मीदवार को केवल जाति की दृष्टि से देखे जाने पर वह चिंतित हो जाती हैं।
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पहले भी इस पद के लिए तथाकथित बड़ी जातियों के लोग प्रत्याशी रहे हैं पर तब उनकी जाति की नहीं बल्कि योग्यता और गुणों की ही चर्चा हुई है। पर आज जब सम्मानीय कोविंद जी और मै चुनाव लड़ रहे हैं तो सबसे पहले जाति की ही चर्चा हो रही है, बाकी सब बातें गौण हो जाती हैं। अगर किसी देश में नस्ल के आधार पर ऐसे चुनाव हो रहा होता तो हम सब उसकी भर्त्सना करते इसलिए इसकी भी निंदा होनी चाहिए। उन्होने कहा कि गुजरात से उन्हें अपनापन है।
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बचपन में दिल्ली में सरदार पटेल उनके पडोसी थे जिनसे उन्हे आशीर्वाद मिला था। ज्ञातव्य है कि राजग के प्रत्याशी रामनाथ कोविंद ने 28 जून को जम्मू-कश्मीर से अपने अभियान की शुरूआत की थी। निर्वाचक मंडल के अंकगणित के लिहाज से उनका पलडा काफी भारी है और 17 जुलाई को होने वाले चुनाव में उनकी जीत पक्की मानी जा रही है।
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