बिजली कर्मियों को विरोध प्रदर्शन में मिला किसानों का साथ

लखनऊ, बिजली के निजीकरण के विरोध में नौ जुलाई को राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन में किसानो का साथ मिला है।
विद्युत संयुक्त कर्मचारी संघर्ष समिति के आह्वान पर देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन में संयुक्त किसान मोर्चा के संगठनों ने समर्थन देने की घोषणा की है। क्रांतिकारी किसान यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष रामरतन यादव ने कहा कि बिजली के निजीकरण से सबसे बड़ा नुक़सान करोड़ों गरीब किसान और खेतिहर मजदूरों को है। निजीकरण के बाद महंगी बिजली बिलों का भुगतान करना उनके लिए नामुमकिन है। यहीं वजह है किसान और खेतिहर मजदूर पूरा ताकत के साथ बिजली के निजीकरण के खिलाफ कर्मचारियों के आंदोलन में जुटा है और सड़कों पर साथ उतरेगा।
इस बीच विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि सरकार ने विद्युत वितरण निगमों में घाटे के भ्रामक आंकड़ों देकर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय लिया है जिससे उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा व्याप्त है। उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मी सात माह से लगातार आंदोलन कर रहे हैं लेकिन सरकार ने आज तक एक बार भी उनसे बात नहीं की।