बिहार विधानमंडल का मॉनसून सत्र शुरू, विपक्ष ने दिखाया तेवर पटना 26 जुलाई (वार्ता) बिहार विधानसभा का मॉनसून सत्र आज से शुरू हो गया और पहले दिन ही विपक्ष ने अपने तेवर से यह संकेत दे दिया है कि पांच दिवसीय यह सत्र हंगामेदार होगा। विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) के सुदामा प्रसाद ने पिछले सत्र में विपक्षी विधायकों के साथ मारपीट के मुद्दे को उठाया और कहा कि विधायकों के साथ दुर्व्यवहार करने वाले अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है । इस पर सभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने उन्हें शांत होकर सीट पर बैठने का आग्रह किया और कहा कि अभी वे सदन की कार्यवाही को चलने दें । श्री सिन्हा ने अपने प्रारंभिक संबोधन में कहा कि वह सभी सदस्यों का हार्दिक अभिनंदन करते हैं। वर्तमान सत्र के दौरान कुल पांच बैठक निर्धारित है, जिसमें वित्तीय वर्ष 2021-22 के प्रथम अनुपूरक व्यय विवरणी के व्यवस्थापन के लिए एक दिन, राजकीय विधेयक के लिए दो दिन तथा गैर सरकारी संकल्प के लिए एक दिन निर्धारित है। उन्होंने कहा कि यह सत्र छोटा होने के बावजूद काफी महत्वपूर्ण है । इसमें सभी सदस्यों की भागीदारी आवश्यक है क्योंकि प्रदेश की समस्याओं का निवारण करने के लिए सदन में सार्थक विमर्श होना जरूरी है। यह विमर्श सभी सदस्यों के अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होने से ही सफल हो पाएगा ।

पटना,  बिहार विधानसभा का मॉनसून सत्र आज से शुरू हो गया और पहले दिन ही विपक्ष ने अपने तेवर से यह संकेत दे दिया है कि पांच दिवसीय यह सत्र हंगामेदार होगा।

विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) के सुदामा प्रसाद ने पिछले सत्र में विपक्षी विधायकों के साथ मारपीट के मुद्दे को उठाया और कहा कि विधायकों के साथ दुर्व्यवहार करने वाले अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है । इस पर सभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने उन्हें शांत होकर सीट पर बैठने का आग्रह किया और कहा कि अभी वे सदन की कार्यवाही को चलने दें ।

श्री सिन्हा ने अपने प्रारंभिक संबोधन में कहा कि वह सभी सदस्यों का हार्दिक अभिनंदन करते हैं। वर्तमान सत्र के दौरान कुल पांच बैठक निर्धारित है, जिसमें वित्तीय वर्ष 2021-22 के प्रथम अनुपूरक व्यय विवरणी के व्यवस्थापन के लिए एक दिन, राजकीय विधेयक के लिए दो दिन तथा गैर सरकारी संकल्प के लिए एक दिन निर्धारित है। उन्होंने कहा कि यह सत्र छोटा होने के बावजूद काफी महत्वपूर्ण है । इसमें सभी सदस्यों की भागीदारी आवश्यक है क्योंकि प्रदेश की समस्याओं का निवारण करने के लिए सदन में सार्थक विमर्श होना जरूरी है। यह विमर्श सभी सदस्यों के अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होने से ही सफल हो पाएगा ।

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