बीजेपी मे बगावत शुरू, वरिष्ठ नेताओं ने बनाया नया राजनैतिक दल
January 31, 2018
नई दिल्ली, बीजेपी मे बहुत दिन से सुलग रही बगावत की चिंगारी आज भड़क उठी. बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने नये राजनैतिक मोर्चे की घोषणा कर सबको चौंका दिया. यशवंत सिन्हा के नव गठित राजनैतिक मोर्चे मे कई बड़े नेता भी शामिल हुये.
पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राष्ट्र मंच की घोषणा की. उन्होने कहा कि हम सब अचानक साथ नहीं आए हैं. हम सब कई महीनों से संपर्क में थे और हम देश की वर्तमान स्थिति पर चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि हमें लगा कि देश की जनता के लिए एक आंदोलन करने की ज़रूरत है और हम वैचारिक रूप से एक दूसरे से जुड़े हैं.
राष्ट्र मंच में शत्रुघ्न सिन्हा, दिनेश त्रिवेदी(टीएमसी), माजिद मेमन, संजय सिंह(आप), सुरेश मेहता (पूर्व मुख्यमंत्री गुजरात), हरमोहन धवन(पूर्व केंद्रीय मंत्री), सोमपाल शास्त्री(कृषि अर्थशास्त्र), पवन वर्मा(जेडीयू), शाहिद सिद्दीक़ी, मोहम्मद अदीब, जयंत चौधरी(आरएलडी), उदय नारायण चौधरी(बिहार), नरेंद्र सिंह(बिहार), प्रवीण सिंह (गुजरात के पूर्व मंत्री), आशुतोष (आप) और घनश्याम तिवारी (सपा) शामिल हुए हैं. साथ ही कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी भी शामिल हुईं.
उन्होंने कहा कि मैं घोषणा करता हूं कि राष्ट्रमंच का सबसे बड़ा मुद्दा किसानों का होगा. हम किसानों के मुद्दों को लेकर आंदोलन करेंगे और उसके साथ दूसरे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार की ग़लत नीतियों को उजागर करेंगे.हमें देश के 60 करोड़ किसानों की फिक्र है. राज्य और केंद्र सरकारों ने किसान को भीखमंगा बना दिया है. किसान को एमएसपी नहीं मिल रही है. ये कभी मुद्दा नहीं बनता है.
बीजेपी के बागी नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि हर साल बजट पेश होता पर देश को रूचि नहीं रही क्योंकि डिलिवरी नहीं हो रही . 70 साल से जो प्रजातंत्र कायम है हमें लगता है कि प्रजातंत्र और उसकी संस्थाएं ख़तरे में पड़ गई हैं. यशवंत सिन्हा ने कहा कि न्यायालय में क्या हो रहा है अब लीपापोती की जा रही है. आरोप क्या था कि कुछ केस को प्रफ़र्ड बेंच पर भेजा जा रहा था. क्या देश की जनता को जानने का हक़ नहीं है?
यशवंत सिन्हा ने कहा कि मीडिया एक प्रजातंत्र का चौथा स्तंभ है, उसका हाल आप देख ही रहे हैं. जो जांच एजेंसियां हैं सीबीआई, इनकम टैक्स आदि को किसलिए इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होने कहा कि नोटबंदी को मैं आर्थिक सुधार मानता हूं, फिर बुरी तरह लागू की गई जीएसटी उससे छोटे उद्योग मर गए. बेरोज़गारी का क्या हाल है, भूख और कुपोषण के चलते बच्चों का भविष्य ख़तरे में है.
उन्होंने कहा कि बताया जाता है कि हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि विदेश नीति है, पर डोकलाम को ही देख लीजिए. खबरों को माने तो जो चीन 10% था वो 90 % हो गया है. अब कोई 56 इंच की छाती को नहीं पूछता. आंतरिक सुरक्षा को देख लीजिए ऐसे लगता है कि भीड़ ही न्याय करेगी और जब जाति और धर्म पर भीड़ तंत्र आती है तो उसकों संभालना सबसे मुश्किल है.