बीमारियों से बचने के लिये योग और आयुर्वेद को बनाये दिनचर्या का हिस्सा

लखनऊ, भारत में तेजी से पांव पसार रहे मोटापा,मधुमेह,रक्तचाप जैसे विकारों से बचने के लिये स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने योग और आयुर्वेद को नियमित जीवनशैली का हिस्सा बनाने की सलाह दी है। चिकित्सकों का मानना है कि अनियमित दिनचर्या और पिज्जा,बर्गर,मैक्रोनी,पास्ता व चाऊमीन जैसे फास्ट फूड के बढ़ते प्रचलन ने लोगों को युवावस्था में ही गंभीर बीमारियों की चपेट में लेना शुरु कर दिया है। खासकर बच्चों में पैकेटबंद खाद्य पदार्थ और शीतल पेय की संस्कृति तेजी से पांव फैला रही है, नतीजन 20-25 वर्ष की उम्र तक पहुंचते पहुंचते कई युवा श्वांस रोग,हृदयरोग और मधुमेह जैसी बीमारी से ग्रसित होने लगे हैं।

मोटापे को परिभाषित करने के लिए एक मानक बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) का उपयोग किया जाता है। बीएमआई 25 से 29.9 के बीच होने पर व्यक्ति अधिक वजन वाला माना जाता है, जबकि 30 से अधिक बीएमआई होने पर व्यक्ति मोटापे से ग्रस्त होता है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस 5) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में अधिक वजन और मोटापे में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है और अनुमान है कि 2030 तक भारत में 27 मिलियन से अधिक बच्चे और किशोर (5 से 19 वर्ष) मोटापे से ग्रस्त होंगे।

सिविल अस्पताल में चेस्ट रोग विभाग के पूर्व अध्यक्ष डा अशोक यादव ने कहा कि सुबह की शुरुआत समय मार्निंग वॉक,हल्का व्यायाम के बाद अंकुरित अनाज एवं बादाम के सेवन से करनी चाहिये जबकि दोपहर और शाम का भोजन सुपाच्य और पौष्टिक हो तो स्वास्थ्य संबंधी तमाम परेशानियों से बचा जा सकता है।

आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. मधुमिता कृष्णन कहा का कहना है कि सुबह का समय पूरे दिन की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाता है। आयुर्वेद में ‘दिनचर्या’ का विशेष महत्व है। यह एक दैनिक अनुशासन है जो आत्म-देखभाल को बढ़ावा देता है। इस दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, प्रातःकाल जल्दी उठना और एक निश्चित सुबह की दिनचर्या का पालन करना। प्रकृति की लय के अनुरूप चलकर, यह दिनचर्या हमारी जैविक घड़ी (बायोलॉजिकल क्लॉक) को संतुलित करती है, आत्म-जागरूकता को बढ़ाती है, और शरीर एवं मन के बीच सामंजस्य स्थापित करती है। सरल आयुर्वेदिक आदतें जैसे ‘ब्रह्म मुहूर्त’ में उठना, योग, ध्यान, प्राणायाम (सजग श्वास तकनीक), ऑयल पुलिंग (तेल कुल्ला), गुनगुना पानी पीना, और सुबह के समय बादाम का सेवन ये सभी मिलकर आपकी सुबह को सकारात्मक रूप से रूपांतरित कर सकते हैं और दिनभर के लिए बेहतर स्वास्थ्य की नींव रख सकते हैं।

उन्होने कहा “यदि हम अपनी सुबह की शुरुआत सही तरीके से करें, तो उसका सकारात्मक प्रभाव पूरे दिन पर पड़ता है। ब्रह्म मुहूर्त में उठना, ऑयल पुलिंग, योग, ध्यान, भीगे हुए बादाम का सेवन और शरीर को हाइड्रेट करने के लिए गुनगुना पानी पीना। ये सभी अभ्यास शरीर और मन में संतुलन स्थापित करते हैं और व्यक्ति को तरोताज़ा, ऊर्जावान और केंद्रित महसूस कराते हैं। भीगे हुए बादाम का सेवन विशेष रूप से पीढ़ियों से एक सुबह की परंपरा रही है, क्योंकि यह समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, दोषों को संतुलित करता है और त्वचा की देखभाल में सहायक होता है। आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी जैसे प्राचीन चिकित्सा ग्रंथों में भी बादाम को त्वचा की सेहत और प्राकृतिक चमक को बढ़ाने वाला बताया गया है। ये पारंपरिक अभ्यास आज भी अत्यंत प्रासंगिक हैं और इन्हें रोज़मर्रा की दिनचर्या में आसानी से शामिल किया जा सकता है। आयुर्वेद में आहार को संपूर्ण स्वास्थ्य का आधार माना गया है।”

मैक्स हेल्थकेयर में रीजनल हेड डायटेटिक्स ऋतिका समद्दार ने कहा “ सुबह का भोजन सिर्फ पेट भरने के लिए नहीं, बल्कि शरीर को पोषण और दिनभर की स्थिर ऊर्जा देने के लिए होता है और इसमें सही आहार की भूमिका बेहद अहम है। सुबह के समय सही पोषण न केवल ऊर्जा और एकाग्रता को बढ़ाता है, बल्कि दिन की अच्छी शुरुआत के लिए भी आवश्यक है। मैं अक्सर लोगों को इसकी अहमियत याद दिलाती हूं। बादाम विशेष रूप से लगभग 15 पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं जिनमें प्रोटीन,डायटरी फाइबर, हेल्दी फैट्स, मैग्नीशियम और ज़िंक शामिल हैं। ये पोषक तत्व ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने, भूख को नियंत्रित करने और लंबे समय तक अच्छे स्वास्थ्य को सहयोग देने में मदद करते हैं। सुबह की शुरुआत बादाम के साथ करने से लंबे समय तक पेट भरा महसूस होता है और समग्र सेहत को भी लाभ मिलता है। इन्हें अपने नाश्ते में शामिल करना बेहद आसान है जैसे ओट्स, दलिया या पॉरिज पर कटे हुए बादाम डालकर क्रंच और प्रोटीन बढ़ाना, या फलों व सब्जियों की स्मूदी में बादाम या बादाम बटर मिलाना।”

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