नई दिल्ली, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड में प्रशासकों की समिति की अध्यक्षता कर रहे पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय ने कहा है कि यह समिति बोर्ड में संवैधानिक सुधारों के लिये प्रतिबद्ध है। राय ने यहां गुरूवार को बंधन बैंक की नई शाखा के उद्घाटन कार्यक्रम में संवाददाताओं से कहा कि उन्हें अभी भारतीय बोर्ड से जुड़े अधिक समय नहीं हुआ है लेकिन सीओए बीसीसीआई में संवैधानिक सुधार और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये प्रतिबद्ध है और इसके लिये हर संभव कदम उठायेगी।
राय के अलावा पूर्व भारतीय महिला क्रिकेटर डियाना इदूलजी, इतिहासकार रामचंद्र गुहा और आईडीएफसी के महाप्रबंधक विक्रम लिमये को बीसीसीआई के संचालन का जिम्मा सर्वोच्च अदालत द्वारा सौंपा गया है। अदालत ने 30 जनवरी को इन प्रशासकों को सीओए में नामित किया था और चार फरवरी को उन्होंने अपना कामकाज संभाला। बीसीसीआई से जुड़े विभिन्न सवालों पर राय ने कहा मैंने चार फरवरी को ही अपना कामकाज संभाला और उसके बाद मैं विदेश चला गया था।
फिलहाल मुझे बोर्ड के कामकाज और विभिन्न मुद्दों की जानकारी नहीं है। लेकिन हम बोर्ड में सुधार लाने के लिये कदम उठायेंगे और इस खेल में पारदर्शिता लाने के लिये भी हर संभव काम करेंगे। बोर्ड के साथ अपने अनुभव के सवाल पर उन्होंने कहा मेरा बीसीसीआई के साथ अब तक अनुभव बहुत अच्छा रहा है। मुझे बोर्ड के मुद्दों पर काम करने में कोई परेशानी नहीं है। इस देश में क्रिकेट प्रशंसकों की संख्या अपार है और जरूरी है कि इन लोगों को ईमानदारी के साथ इसका मजा मिले। बीसीसीआई को पारदर्शी संचालन की जरूरत है और हम इसी दिशा में काम करेंगे।
पूर्व सीएजी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के साथ संबंधों को लेकर भी कहा कि उन्हें इस बात का भरोसा है कि वह इस मामले को भी सफलता से सुलझा लेंगे। राय ने कहा हमें इन मसलों के लिये सही आधिकारिक प्रक्रिया के तहत काम करना होगा। यह बड़ी संस्थाएं हैं और हमें केवल यह देखना है कि ये अपनी व्यवस्था के अनुसार काम करें। बीसीसीआई आईसीसी के नये वित्तीय मॉडल का विरोध कर रहा है जिसके लागू होने पर उसे अरबों रूपये का नुकसान हो सकता है। उन्होंने साथ ही निलंबित क्रिकेटर शांतकुमारन श्रीसंत के विदेशी लीग में खेलने के लिये बीसीसीआई द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दिये जाने पर अदालत में केस करने को लेकर कहा कि पूर्व क्रिकेटर के पास इसका हक है।