बी पी मंडल की 99वीं जयंती पर, पीआईएल फाउंडेशन मनायेगा, सामाजिक न्याय दिवस
August 25, 2017
नई दिल्ली, आज सामाजिक न्याय के मसीहा बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल की 99वीं जयंती है। इस दिन को देशभर मे लोग सामाजिक न्याय दिवस के रूप में मना रहें हैं। पीआईएल फाउंडेशन ने इस अवसर पर दिल्ली मे एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया है.
आज 25 अगस्त को बीपी मण्डल की जयंती पर पीआईएल फाउंडेशन द्वारा ‘बहुसंख्यकों के विकास के बिना, क्या देश का विकास संभव है’ पर चर्चा का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम का आयोजन आज शाम 5 बजे दीन दयाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली मे स्थित गांधी पीस फाउंडेशन में किया जा रहा है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इलाहबाद हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस रविंद्र सिंह होंगे। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राज्यसभा सांसद अली अनवर अंसारी, एडवोकेट आर के सिंह, वरिष्ठ पत्रकार अनिल चमरिया, शीबा असलम, एडवोकेट प्रभास कुमार, वरिष्ठ पत्रकार अनूप कुमार, एडवोकेट पी के यादव, कपिल इसापुरी, पत्रकार वीर भूषण, सामाजिक कार्यकर्ता नत्थू सिंह गुर्जर, सुप्रीम कोर्ट के वकील विजेंद्र कसाना, सुप्रीम कोर्ट के वकील सनोबर अली कुरैशी, सुप्रीम कोर्ट की वकील अंबिका राय होंगे।
“मण्डल कमीशन” के पुरोधा विंदेश्वरी प्रसाद मण्डल बिहार के मधेपुरा जिला के मुरहो गांव के निवासी थे। वे एक प्रखर राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक सामाजिक चिंतक भी थे। विधायक,सांसद, मुख्यमंत्री आदि तमाम पदों पर आसीन रहे बीपी मण्डल के मन-मस्तिष्क में वंचितो के लिए कुछ कर गुजरने की चाहत बचपन से हीं थी जिसे कार्य रूप में परिणत करने का अवसर उनको 1 जनवरी 1979 को तब मिला जब तत्कालीन प्रधानमन्त्री मोरार जी देसाई ने उनको दूसरे पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष बनाया।
बीपी मण्डल दो वर्षों तक पूरे देश के सम्पूर्ण जनपद मुख्यालयो पर गए और वहां के सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े लोगोँ को सूचीबद्ध किया। जिसके बाद उन्होनें इन सोशली एवं ऐजुकेशनली बैकवर्ड समुदायों को क्या सहूलियतें दी जांय इसपर अपनी विस्तृत रिपोर्ट इंदिरा सरकार को 31 दिसम्बर 1980 को सौंपी।
मण्डल आयोग की रिपोर्ट में मुख्य तौर पर 17 सिफारिशें कीं गईं जिससे पिछड़े वर्ग के लोगों को उनका उचित सामाजिक, शैक्षिक, राजनैतिक और आर्थिक अधिकार मिल सके। काका कालेलकर कमिटी की हीं तरह, मण्डल कमीशन की रिपोर्ट भी लगभग 10 वर्षों तक कांग्रेस के रद्दीखाने में पड़ी रही। 7 अगस्त 1990 को राष्ट्रीय मोर्चा की वीपी सिंह सरकार ने देवीलाल की रैली को असफल करने तथा अपनी सरकार को बचाने के लिए मण्डल आयोग की 17 मे से केवल एक सिफारिश यानि कि सरकारी सेवाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करने की घोषणा की जिसकी अधिसूचना 13 अगस्त 1990 को लागू हुयी।
इस घटना से देश में मण्डल और कमण्डल के पक्ष में जबर्दस्त ध्रुवीकरण हो गया। मण्डल कमीशन की लड़ाई को सुप्रीम कोर्ट में घसीट लिया गया। कोर्ट ने इसके क्रियान्वयन पर स्टे कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन चीफ जस्टिस एम एच कानिया जी के नेतृत्व में बहुमत से इसे क्रीमी लेयर की असंवैधानिक बाधा के साथ 16 नवम्बर 1992 को लागू करने का फैसला सुनाया।