कुदरत की बेरूखी और सरकारी तंत्र की उपेक्षा से बेजार बुंदेलखण्ड को लेकर राजनीतिक गतिविधियों की आहट के बीच उत्तर प्रदेश के ने आज दावा किया कि उनकी सरकार इस इलाके को लेकर चिंतित है और उसकी परेशानियां दूर करने के लिये हर कोशिश करेगी। मुख्यमंत्री ने राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि अर्से से सूखे से जूझ रहे बुंदेलखण्ड में विकास योजनाओं का जायजा लेने के लिये मुख्य सचिव आलोक रंजन ने पिछले दिनों वहां का दौरा किया था और जरूरत पड़ी तो वह खुद भी बुंदेलखण्ड जाएंगे। वर्ष 2017 के शुरू में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सभी राजनीतिक दलों के इलेक्शन मोड में आने के बीच कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी आगामी 22 जनवरी को बुंदेलखण्ड दौरे पर आ रहे हैं। ऐसे में अखिलेश का यह बयान महत्वपूर्ण है। अखिलेश ने कहा जहां तक बुंदेलखण्ड की बात है तो आपको याद होगा कि इसके बारे में सबसे पहले सपा और उसकी सरकार ही चिंतित थी। जब योगेन्द्र यादव बुंदेलखण्ड को लेकर राय और सुझाव देना चाहते थे तो सरकार ने उनको बुलाकर राय मांगी थी। अभी मुख्य सचिव भी बुंदेलखण्ड पहुंचे थे। उन्होंने कहा हमने तय किया है कि बुंदेलखण्ड में हमें मनरेगा के जरिये चाहे तालाब खुदवाने पड़ें, चाहे नदियों को साफ करना पड़े या जनवितरण प्रणाली को बेहतर करना पड़े या बिजली का इंतजाम ज्यादा करना पड़े… यह सब काम हमने शुरू किया है। आने वाले समय में मौका मिलेगा तो मैं भी बुंदेलखण्ड जाउंगा। सरकार निश्चित रूप से बुंदेलखण्ड की हर तरीके से मदद करेगी। बुंदेलखण्ड को जो विशेष सुविधाएं जरूरी होंगी, वह दी जाएंगी। मंत्रिपरिषद की बैठक में लिये गये फैसलों की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने गन्ने के राज्य परामर्शी रिपीट राज्य परामर्शी मूल्य में कोई बदलाव नहीं किया है। यह इस साल भी 280 रुपये प्रति क्विंटल रहेगा। सरकार समय से चीनी मिलों को चलवाएगी और किसानों के गन्ना मूल्य का भुगतान करवाएगी। उन्होंने बताया कि मंत्रिपरिषद में लिये गये निर्णय के मुताबिक प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये नयी पर्यटन नीति लागू होगी। इसमें होटल को उद्योग का रूप मानने की मांग का ख्याल रखा गया है। अखिलेश ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने धरोहर सम्पत्तियों को लेकर सहूलियत देने पर फैसला लिया है। केन्द्र तथा राज्य पुरातत्व सर्वेक्षण से वित्तीय मदद प्राप्त सम्पत्तियों के अलावा कई ऐसी इमारतें हैं जिनके संरक्षण के लिये इंतजाम नहीं था, उनके लिये सरकार नीति लेकर आ रही है ताकि इन सम्पत्तियों का रखरखाव बेहतर ढंग से हो। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में कुटीर, लघु एवं मंझोले उद्योगों की संख्या सबसे ज्यादा है। ऐसे उद्यमियों की रेट अनुबंध को लेकर सहूलियत सम्बन्धी मांग पर मंत्रिपरिषद ने बड़ा फैसला लिया है। अखिलेश ने कहा कोशिश है कि मूलभूत ढांचे पर सरकार जो काम करती आयी है उसको तेजी से आगे बढ़ाएं और किसान, गांवों और युवाओं के लिये नयी योजनाएं लायें या उनको इस बजट में कैसे शामिल किया जाए ताकि उत्तर प्रदेश तेजी से विकास के रास्ते पर आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि पिछले साल ओलावृष्टि से फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के लिये प्रदेश को केन्द्र से कुछ धन मिला है। अब प्रदेश में सूखे की रिपोर्ट केन्द्र को भेजी गयी है। उम्मीद है कि वह धन मिलेगा.