नई दिल्ली, बच्चों द्वारा अपने माता-पिता को दिये जाने वाले गुजारा भत्ता की 10,000 रपये की मासिक सीमा को हटाने और बुजुर्गों की देखभाल कर रहे संगठनों के लिए एक रेटिंग प्रणाली लाने के लिहाज से सरकार कानून में संशोधनों पर विचार कर रही है। अभिभावकों और वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल और कल्याण कानून में प्रस्तावित संशोधनों को यदि संसद की मंजूरी मिल जाती है तो बच्चों की अनदेखी के शिकार माता-पिता के लिए दी जाने वाली जीवन निर्वाह की राशि का निर्णय वरिष्ठ नागरिक न्यायाधिकरण बुजुर्गों की जरूरत तथा संतान की आर्थिक हालत के आधार पर करेगा। फिलहाल कोई न्यायाधिकरण बच्चों द्वारा अपने माता या पिता को अथवा किसी वरिष्ठ नागरिक को उसके रिश्तेदार द्वारा 10,000 रपये प्रति महीने से अधिक गुजारा राशि देने का आदेश नहीं दे सकता।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, कई वरिष्ठ नागरिक संगठनों ने शिकायतें की हैं कि गुजारा भत्ता अपर्याप्त है और जीवनस्तर के बढ़ते खर्च को ध्यान में नहीं रखा गया है। कानून के प्रावधानों की समीक्षा करने के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी जिसमें वरिष्ठ नागरिक संगठनों, राज्य सरकारों, केंद्रीय मंत्रालयों और राष्ट्रीय विधि आयोग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। अधिकारी के मुताबिक, विस्तृत विचार-विमर्श के बाद फैसला हुआ कि गुजारा भत्ता की सीमा समाप्त की जा सकती है और इसकी सीमा को न्यायाधिकरण के विवेकाधिकार पर छोड़ा जा सकता है। यह प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर निर्भर होना चाहिए।