लखनऊ, उत्तर प्रदेश सरकार ने बूचड़खानों पर कार्रवाई को लेकर पैदा हुई भ्रम की स्थिति पर आज स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि यह कार्रवाई अवैध बूचड़खानों के खिलाफ ही है और जिनके पास लाइसेंस है, उन्हें डरने की जरूरत नहीं है।
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘यह कार्रवाई अवैध बूचड़खानों के खिलाफ ही है। जिनके पास लाइसेंस है, उन्हें डरने की आवश्यकता नहीं है। उन्हें लाइसेंस के नियम कायदों का पालन करना होगा।’ उन्होंने कहा, ‘चिकन, मछली और अंडा विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई का कोई आदेश नहीं दिया गया है। उन्हें डरने की जरूरत नहीं है।’
सिद्धार्थनाथ सिंह ने अधिकारियों को ताकीद भी की कि वे अति उत्साह में आकर अपनी हद से आगे बढ़कर कार्रवाई ना करें। उन्होंने कहा कि लाइसेंस की एक शर्त है कि बूचड़खाने में सीसीटीवी कैमरा लगवाये जाएं। अगर इस शर्त का पालन नहीं किया जा रहा है, तो अधिकारी उस बूचड़खाने को बंद करने का आदेश देने के बजाय उसके मालिक को एक नोटिस दे और सुधार के लिये एक निश्चित समय सीमा तय करे। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) द्वारा बूचड़खानों को बंद किये जाने का जोर डाले जाने के बारे में सिंह ने कहा, ‘एनजीटी ने वर्ष 2015 में यह माना था कि अवैध बूचड़खानों से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। हालांकि पिछली सरकार ने ऐसे बूचड़खानों को बंद करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया।’ मालूम हो कि बूचड़खानों पर कार्रवाई के विरोध में प्रदेश के सभी मांस व्यवसायी अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहे हैं।