नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर एवं महात्मा ज्योतिबा फुले को श्रद्धांजलि देते हुए लोगों से अपील की कि वे अपनी बेटियों की पढ़ाई पर विशेष रूप से फोकस करें।
श्री मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक कार्यक्रम मन की बात के 87वें अंक में आज कहा कि अप्रैल के महीने में हम दो महान विभूतियों – महात्मा फुले और बाबा साहब अम्बेडकर की जयंती भी मनाएंगे। इन दोनों ने ही भारतीय समाज पर अपना गहरा प्रभाव छोड़ा है। महात्मा फुले की जयंती 11 अप्रैल को है और बाबा साहब की जयंती हम 14 अप्रैल को मनाएंगे। इन दोनों ही महापुरुषों ने भेदभाव और असमानता के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ी। महात्मा फुले ने उस दौर में बेटियों के लिए स्कूल खोले, कन्या शिशु हत्या के खिलाफ आवाज़ उठाई। उन्होंने जलसंकट से मुक्ति दिलाने के लिए भी बड़े अभियान चलाये।
प्रधानमंत्री ने कहा कि महात्मा फुले की इस चर्चा में सावित्री बाई फुले का भी उल्लेख उतना ही ज़रूरी है। सावित्री बाई फुले ने कई सामाजिक संस्थाओं के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाई। एक शिक्षिका और एक समाज सुधारक के रूप में उन्होंने समाज को जागरूक भी किया और उसका हौसला भी बढाया। दोनों ने साथ मिलकर सत्यशोधक समाज की स्थापना की। जन-जन के सशक्तिकरण के प्रयास किए। हमें बाबा साहब अम्बेडकर के कार्यों में भी महात्मा फुले के प्रभाव साफ़ दिखाई देते हैं। वो कहते भी थे कि किसी भी समाज के विकास का आकलन उस समाज में महिलाओं की स्थिति को देख कर किया जा सकता है।
श्री मोदी ने कहा, “महात्मा फुले, सावित्रीबाई फुले, बाबा साहब अम्बेडकर के जीवन से प्रेरणा लेते हुए, मैं सभी माता –पिता और अभिभावकों से अनुरोध करता हूँ कि वे बेटियों को ज़रूर पढ़ायें। बेटियों का स्कूल में दाखिला बढ़ाने के लिए कुछ दिन पहले ही कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव भी शुरू किया गया है, जिन बेटियों की पढाई किसी वजह से छूट गई है, उन्हें दोबारा स्कूल लाने पर फोकस किया जा रहा है।”
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि हम सभी के लिए सौभाग्य की बात है कि हमें बाबासाहेब से जुड़े पंच तीर्थ के लिए कार्य करने का भी अवसर मिला है। उनका जन्म-स्थान महू हो, मुंबई में चैत्यभूमि हो, लंदन का उनका घर हो, नागपुर की दीक्षा भूमि हो, या दिल्ली में बाबासाहेब का महा-परिनिर्वाण स्थल, मुझे सभी जगहों पर, सभी तीर्थों पर जाने का सौभाग्य मिला है। ‘मन की बात’ के श्रोताओं से आग्रह है कि वे महात्मा फुले, सावित्रीबाई फुले और बाबासाहेब अम्बेडकर से जुड़ी जगहों के दर्शन करने जरुर जाएँ। वहाँ उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।