बेटियों को अच्छी शिक्षा और संस्कार दें माता-पिता : आनंदीबेन पटेल

लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि बेटियों के सामने कई चुनौतियाँ होती हैं, इसलिए उन्हें सशक्त बनाने के लिए उनको शिक्षित करना, संस्कारित करना और उनके स्वास्थ्य की रक्षा करना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।

उन्होने कहा कि पूरे देश में बेटियों के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिनसे वे लगातार आगे बढ़ रही हैं। माता-पिता को जागरूक कर बेटियों को अच्छी शिक्षा और संस्कार देना आवश्यक है, क्योंकि बेटियां भविष्य में मातृत्व के रूप में समाज को सशक्त और संस्कारवान नागरिक प्रदान करती हैं।

गुरुवार को नवरात्रि के पावन पर्व पर प्रेरणा संस्था के सहयोग से राजभवन, लखनऊ में 5100 कन्याओं का पूजन कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। यह आयोजन प्रेरणा संस्था के सौजन्य से किया गया। इस अवसर पर 100 बालिकाओं को सर्वाइकल कैंसर से सुरक्षा प्रदान करने हेतु निःशुल्क एचपीवी टीकाकरण भी किया गया। इस पहल का उद्देश्य बालिकाओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

राज्यपाल ने इस कार्यक्रम से जुड़े सभी अधिकारियों, कर्मचारियों, अध्यापकों एवं संचालकों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि इतनी बड़ी संख्या में बालिकाओं के राजभवन में आगमन ने राजभवन के गौरव को और बढ़ाया है।

उन्होंने कहा कि समाज में फैली गंदगी और नकारात्मकता से बेटियों को बचाना है। उन्हें संस्कारित और शिक्षित बनाकर ही हम उत्तम नागरिक तैयार कर सकते हैं।

राज्यपाल ने कहा कि सड़कों पर भिक्षा मांगने वाले बच्चों को राजभवन के माध्यम से शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा गया है। ऐसे 80 बच्चों का नामांकन स्कूलों में कराया गया है और उन्हें विभिन्न प्रकार की कौशल शिक्षा भी दी जा रही है। इनमें अपार प्रतिभा है, जिसे अवसर देने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर महासचिव श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अयोध्या श्री चंपत राय ने कहा कि राजभवन एक अनूठा स्थान बन चुका है, जहाँ भारतीय परंपराओं की रक्षा के कार्यक्रम देखने को मिलते हैं। उन्होंने कहा कि यहाँ सुरक्षा की अनेक चुनौतियाँ रहती हैं, परंतु उन सबके बीच इस प्रकार के आयोजन समाज को प्रेरणा देते हैं। उन्होंने कहा कि ‘माँ’ शब्द स्वयं में पूजनीय है और आज बालिकाओं का पूजन उसी स्वरूप की आराधना है।

क्षेत्र प्रचारक, पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र अनिल कुमार ने कहा कि संपूर्ण विश्व में भारत ही ऐसा देश है, जहाँ नारी को शक्ति का स्वरूप माना गया है और उनकी पूजा की जाती है। सनातन परंपरा में स्त्री को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। उन्होंने कहा कि नारी का संरक्षण, शिक्षा और सशक्तिकरण केवल परिवार की ही नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है।

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