Breaking News

बेटी ने मां के साथ जाने से किया इन्कार तो सुप्रीम कोर्ट ने पिता को सौंपा संरक्षण

 supreme-courtनई दिल्ली,  बेटी के संरक्षण से जुड़े विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग की इच्छा के मुताबिक उसे पिता के साथ रहने की इजाजत दे दी। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले के बावजूद 15 वर्षीय किशोरी ने मां के साथ ब्रिटेन जाने से इन्कार कर दिया था। शीर्ष अदालत ने उसकी इच्छा को देखते हुए हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया। जस्टिस एके सीकरी और आरके अग्रवाल की पीठ ने अपने फैसले में कहा, किशोरी परिपक्व हो चुकी है। वह मां के पास ब्रिटेन नहीं जाना चाहती, ऐसे में कोर्ट उसे मर्जी के बगैर दूसरे देश में भेजने का खतरा मोल नहीं ले सकता।

इतनी समझदार बच्ची को इच्छा के बगैर विदेश भेजना उसके लिए मुसीबत भरा अनुभव हो सकता है। यह उसके हित में नहीं होगा। पीठ ने इसके साथ ही कहा, किशोरी की मां को अपनी बेटी को अस्थायी संरक्षण देकर विश्वास जीतने के लिए पर्याप्त समय दिया गया, लेकिन वह असफल रहीं। बच्ची अपने पिता के साथ खुश है और उन्हीं के साथ रहना चाहती है। कोर्ट किशोरी को पिता के संरक्षण में भेजने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त है।

वह 15 वर्ष की हो चुकी है और तीन वर्ष में वयस्क हो जाएगी। इसके बाद मां-बाप के बीच जारी संरक्षण विवाद समाप्त हो जाएगा। तब वह अपनी जिंदगी के बारे में निर्णय लेने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र होगी। पीठ के अनुसार जजों से मुलाकात के दौरान वह पिता के साथ रहने की इच्छा को स्पष्ट तौर पर जाहिर करती रही है। क्या है मामला: किशोरी के माता-पिता ने 1999 में शादी की थी।

मार्च, 2000 में दोनों ब्रिटेन चले गए थे, जहां दोनों के बीच विवाद पैदा हो गया। दोनों में तलाक हो गया। बच्ची का जन्म जनवरी, 2002 में दिल्ली में हुआ था। नवंबर, 2009 में व्यक्ति अपनी बेटी के साथ भारत आ गया था। बच्ची की कस्टडी पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट का फैसला मां के पक्ष में गया था, लेकिन बच्ची उनके साथ नहीं जाना चाहती थी। महिला ने जुलाई, 2010 में अपनी बेटी के लिए ब्रिटिश नागरिकता भी हासिल कर ली थी। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *