नयी दिल्ली, जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के छात्रों ने आज प्रोफेसर अतुल जौहरी की गिरफ्तारी की मांग करते हुए विश्वविद्यालय से वसंतकुंज पुलिस थाने तक विरोध मार्च निकाला। प्रोफेसर जौहरी के खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न की नौ शिकायतें हैं। गंभीर मामलों मे एफआईआर दर्ज होने के तीन दिन बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाही नही हुई। मोदी सरकार की रहस्यमय चुप्पी बनी हुयी है।
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जेएनयू में छात्राओं के यौन शोषण मामले में छात्रसंघ का विरोध तीसरे दिन उग्र हो गया। उन्होंने आरोपी प्रोफेसर की गिरफ्तारी नहीं होने पर सोमवार देर शाम साउथ-वेस्ट दिल्ली के वसंतकुंज थाने के बाहर प्रदर्शन किया। लड़कियों की शिकायतों पर 8 अलग-अलग एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर छात्र-छात्राओं ने धरना दिया।
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जेएनयू की 9 रिसर्च स्कॉलर्स ने स्कूल ऑफ लाइफ साइंस डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो. अतुल जौहरी के खिलाफ केस दर्ज कराया है।जेएनयू छात्र संगठनों और 54 प्रोफेसरों ने कहा है कि 8 छात्राओं ने आरोपी प्रोफेसर अतुल जौहरी के खिलाफ अलग-अलग शिकायत दर्ज कराईं, लेकिन पुलिस ने सिर्फ एक मामले में केस दर्ज किया। छात्राओं ने अलग-अलग वक्त में यौन शोषण की घटना हुईं। पुलिस को इन्हें अलग मामला मानना चाहिए, लेकिन सिर्फ एक एफआईआर में सबके नाम डाल दिए। पुलिस सभी पीड़िताओं के बयान दर्ज करे। बजाय इसके आरोपी प्रोफेसर को बचाया जा रहा है।
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जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष गीता कुमारी ने बताया कि अतुल जौहरी पर नौ छात्राओं ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं। उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है। इसके बावजूद जेएनयू प्रशासन ने न सिर्फ अतुल जौहरी को निलंबित किया है बल्कि कुलपति समेत कई प्रशासनिक अधिकारी उन्हें बचाने में लगे हैं। उन्होंने बताया कि प्रोफेसर अतुल जौहरी के खिलाफ शिकायत करने वाली छात्राओं को प्रशासन ने एक कमरे में बंद कर दिया। जेएनयू की अन्य छात्राओं को उनसे मिलने भी नहीं दिया गया था। जब वे पीड़ित छात्राओं से मिलने की कोशिश कर रही थीं तो जेएनयू प्रशासन के सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की।
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उन्होंने कहा कि जेएनयू प्रशासन ने भी प्रोफेसर अतुल जौहरी के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। वह जेएनयू परिसर में मिली सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। जेएनयू प्रशासन ने उन्हें उनके अकादमिक दायित्वों से भी मुक्त नहीं किया है। इतना सब होने के बावजूद भी आखिर क्यों चुप है मोदी सरकार?