सहारनपुर, उत्तर प्रदेश में देवबंद के एक कट्टरपंथी आलिम मुफ्ती असद कासमी लोकप्रिय भजन गायिका फरमानी नाज को नसीहत देकर अपने ही समुदाय में अलग-थलग पड़ गये हैं। ना तो उन्हें प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्था दारूल उलूम देवबंद का साथ मिला और ना ही अन्य देवबंदी विख्यात उलेमाओं का समर्थन मिला।
दारूल उलूम ने स्पष्ट किया कि फरमानी नाज के हिन्दू देवताओं की प्रशंसा में गाए जाने वाले भजनों को लेकर उनकी संस्था ने कोई फतवा जारी नहीं किया है। दारूल उलूम ने इस विवाद पर तटस्थ रवैया अपना लिया है। देवबंद के ही एक अन्य वरिष्ठ आलिम मुफ्ती अरशद फारूखी और मौलाना इशहाक गोरा ने कहा कि उनकी ओर से भी फरमानी नाज को लेकर कोई राय अथवा फतवा नहीं दिया गया। उन्होंने दलील दी कि दारूल उलूम जैसी संस्था का मानना है कि इस्लाम में गीत, संगीत, नाच, गाना भले ही शरीयत के नजरिये से उचित नहीं है, लेकिन कलाकारों, फनकारों, संगीतकारों, गीतकारों का यह अपना फन और कला की अभिव्यक्ति है। दारूल उलूम ने कभी भी मशहूर गायक मोहम्मद रफी समेत किसी भी फिल्मी कलाकार को लेकर कोई फतवा नहीं दिया है।
ध्यान रहे पड़ोसी जनपद मुजफ्फरनगर की 28 वर्षीय लोकप्रिय गायिका फरमानी नाज ने 2021 में रियलिटी शो इंडियन आइडल के 12वें शो में भाग लेकर देशभर में प्रशंसाएं बटोरी थीं। नाज ने अपने तीन साल के बेटे के गले का आपरेशन कराने के लिए बीच में ही इस शो को छोड़ दिया था। तब से वह कव्वाली, भजन और यू-ट्यूब पर अपने गीत, गाने आदि रिकार्ड कराकर डालती है। उनेके लाखों प्रशंसक हैं।
नाज हाल ही में उस वक्त चर्चा में आईं जब कांवड़ यात्रा के दौरान भगवान शिव पर गाया गीत हर-हर शंभू शिवभक्त कांवड़ियों में खासा लोकप्रिय हुआ। इसके बाद देवबंदी आलिम ने नाज के भजन गायन पर उंगली उठाते हुए उसे गैर इस्लामी और शरीयत के खिलाफ बता दिया। आलिम ने कहा कि नाज को अपने किए इस गुनाह के लिए तौबा करनी चाहिए और अल्लाह से माफी मांगनी चाहिए।
नाज देवबंदी आलिम के हमले से बेपरवाह रहकर कहा कि गायन किसी भी कलाकार का फन है और रोजगार है। धर्म, भाषा देखकर कोई भी कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन नहीं करता। वह भजनों के गायन को जारी रखेगी। उन्होंने आगामी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व को लेकर भी भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में भजन गाए हैं। उन्होंने भजन ‘हर हर कृष्णा, जय जय श्री राधे’ को भी अपने प्रशंसकों के लिए जारी किया है।
केंद्रीय मंत्री डा. संजीव बालियान ने नाज के बच्चे के आपरेशन में सहायता की थी। विरोध के बीच नाज को लेकर एक बार फिर से माहौल उस वक्त गरम हो गया जब उनके द्वारा किए गए कथित ट्वीट में कहा गया कि वह हिन्दू धर्म अपना लेंगी। इस पर नाज ने स्पष्ट किया कि वह अपने मजहब में बनी रहेगी और भजन गायन भी जारी रखेगी। उन्होंने कहा कि उनका पूरा ध्यान अपने व्यवसाय पर है। पति और ससुराल वालों द्वारा बच्चे का इलाज ना करा पाने से आहत नाज अपने अपने माता-पिता और भाइयों के साथ रह रही है। कुल मिलाकर फरमानी नाज को इस्लामिक हलकों का खामोश समर्थन मिला है।