हैदराबाद, भाकपा ने राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा विरोधी दलों का महागठबंधन बनाने के बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रस्ताव का समर्थन किया है लेकिन यह शर्त भी रखी है कि यह व्यवस्था वैकल्पिक, गरीब समर्थक आर्थिक नीतियों पर आधारित होनी चाहिए।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में कहा था कि वह भगवा दल को हराने के उद्देश्य से सभी भाजपा विरोधी ताकतों को एकजुट करने की खातिर उत्प्रेरक की भूमिका निभाने के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि वह किसी पद के आकांक्षी नहीं हैं। साथ नीतीश ने कहा था कि अगर किसी व्यक्ति के भाग्य में प्रधानमंत्री बनना लिखा है तो एक दिन वह प्रधानमंत्री जरूर बनेगा।
भाकपा के महासचिव एस सुधाकर रेड्डी ने कहा, यह हमने देखा है। इस पर हमारी प्रतिक्रिया सकारात्मक है। नीतीश का यह प्रस्ताव अच्छा है। इसमें कुछ न्यूनतम शर्तें भी होंगी। एक तो साफ तौर पर आर्थिक नीतियों को लेकर है। यह महागठबंधन का नकारात्मक भाग नहीं होना चाहिए। यह (भाजपा का) एक विकल्प होना चाहिए जो वैकल्पिक नीतियां बता सके।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अपनी आर्थिक नीतियों पर फिर से सोचने और ऐसी पहल करने की जरूरत है जो गरीब समर्थक हों और गरीब की मेहनत के दम पर लाभ लेने वाले उद्योगों के खिलाफ हो। भाकपा नेता ने कहा, महत्वपूर्ण बात यह है कि कांग्रेस को अपनी आर्थिक नीतियों पर इस तरह सोचने की जरूरत है जिससे वे उद्योगों के खिलाफ और गरीब समर्थक हों। हम सभी उद्योगों के राष्ट्रीयकरण के लिए नहीं कह रहे हैं। इस क्रोनी कैपिटलिज्म का अंत होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह देखने की जरूरत है कि व्याप्त पूंजीवादी व्यवस्था में जिस तरह अतिरिक्त लाभ लिया जाता है वैसा लाभ लेने की कोशिश कोई न करे। उन्होंने कहा, भ्रष्टाचार के खिलाफ भी प्रतिबद्धता होनी चाहिए। लोग तब समर्थन देंगे जब ऐसी सकारात्मक चीजें होंगी। भाजपा के विरोधी सभी दल शायद मंच में शामिल न हों लेकिन उन्हें लगता है कि चुनावों से पहले प्रस्तावित गठबंधन आकार ले लेगा और चुनाव पश्चात परिदृश्य में यह पूर्ण भी हो जाएगा।
उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता कि सभी गैर भाजपा या भाजपा विरोधी दल इसमें शामिल होंगे। कुछ राज्यों में ऐसे समूह हैं जो एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं। हमारा विचार है कि यह (भाजपा विरोधी गठबंधन) चुनाव पूर्व आंशिक और चुनाव के बाद की स्थिति में पूरी तरह परिपक्व रूप से सामने आएगा। रेड्डी ने गठबंधन बनाने वाले सभी पक्षों से सबकी सहमति से साझा न्यूनतम कार्यक्रम जैसा नीतिगत ढांचा बनाने का पक्ष लिया। उन्होंने कहा कि ऐसी वैकल्पिक नीतियां पार्टियों को इससे जोड़ने में मददगार होगी। उन्होंने कहा, इस तरह की (साझा न्यूनतम कार्यक्रम जैसी) योजनाएं होनी चाहिए। ऐसी वैकल्पिक आर्थिक नीतियों पर काम करने की पहल भी नीतीश कुमार को करनी चाहिए। तब यह ज्यादा दलों को आकर्षित कर पाएगा और इसे अधिकाधिक लोगों का समर्थन मिलेगा।
भाकपा नेता ने कहा कि भाजपा विरोधी दलों की एकजुटता वर्ष 2019 में होने वाले चुनावों में कदम दर कदम होगी और इसके लिए माहौल राज्यों में होने वाले चुनावों में बनेगा। रेड्डी ने कहा, कई राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं। फिलहाल पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं। फिर उत्तर प्रदेश और पंजाब में चुनाव होंगे। भाजपा विरोधी सोच रखने वालों को एकजुट होने की जरूरत है। फिर मध्यप्रदेश में और शायद राजस्थान में चुनाव होंगे। इन सभी चुनावों के लिए ऐसा माहौल बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 के पहले यह प्रक्रिया कदम दर कदम आगे बढ़ सकती है। कुछ पक्षों ने नीतीश को लेकर नकारात्मक प्रतिक्रिया दी है क्योंकि उन्हें आशंका है कि उन पर प्रधानमंत्री के तौर पर ध्यान दिया जाएगा। रेड्डी ने कहा कि वाम दलों को ऐसे भाजपा विरोधी गठबंधन का हिस्सा बनने की जरूरत नहीं है लेकिन नीति आधारित विकल्प के साथ सामने आने पर वह इस गठबंधन को समर्थन देने पर विचार करेंगे। उन्होंने कहा, अगर नीति एवं कार्यक्रम आधारित विकल्प उभरता है तो वाम इसे समर्थन देने पर सोच सकते हैं।