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भाजपा कार्यकर्ताओं के समक्ष राम मंदिर, रोजगार, किसान से जुड़े मुद्दे अहम

नयी दिल्ली, भाजपा ने ‘फिर मोदी सरकार’ के नारे के साथ 2019 के लोकसभा चुनाव अभियान का शंखनाद कर दिया है और पार्टी कार्यकर्ताओं को राम मंदिर के निर्माण, किसानों के कर्ज एवं कृषि क्षेत्र की समस्याओं, रोजगार जैसे मुद्दों पर जनता के कठिन सवालों के जवाब सरकार की उपलब्धियों के जरिये देने को कहा गया है।

पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में फैजाबाद से आए भाजपा कार्यकर्ता सुदर्शन मिश्र ने बताया कि आज प्रदेश की जनता के समक्ष राम मंदिर बड़ा चुनावी मुद्दा है । नोटबंदी, जीएसटी का कोई खास प्रभाव नहीं है लेकिन राम मंदिर पर सवाल पूछे जाते हैं । उम्मीद है कि इस बारे में जल्द ही कोई ठोस निर्णय होगा और राम मंदिर जरूर बनेगा । राम मंदिर के बारे में कार्यकर्ता कितने संवेदनशील हैं, इसकी बानगी भाजपा की राष्ट्रीय परिषद के अधिवेशन में भी देखने को मिली जब मंच से राम मंदिर के उल्लेख पर वहां मौजूद पार्टी कार्यकर्ताओं का उद्घोष देर तक गूंजता रहा ।

बिहार से आए सुदिष्ट नारायण चौधरी ने कहा कि चुनाव में किसानों से जुड़े मुद्दे अहम हैं। लम्बे समय से कृषि क्षेत्र की उपेक्षा के कारण खेती लाभदायक पेशा नहीं रही है। लोगों का यह भी मानना है कि कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों को अपेक्षित सम्मान भी नहीं मिलता । कांग्रेस की ओर से कर्जमाफी के वादे के कारण भी जनता के सवाल उठ रहे हैं क्योंकि उन्हें त्वरित लाभ दिख रहा है। प्रधानमंत्री ने किसानों की आय दोगुना करने, फसल बीमा समेत कई योजनाएं आगे बढ़ायी हैं और हमें उम्मीद है कि जल्द ही हमारी सरकार किसानों के लिये कोई बड़ी घोषणा करेगी।

नगालैंड से आए थोकचोम नोइलांग ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र आजादी के बाद लम्बे समय तक उपेक्षित रहा। ऐसे में इस क्षेत्र का समावेशी विकास, शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना, रोजगार, बुनियादी सुविधाएं महत्वपूर्ण विषय हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर क्षेत्र का काफी विकास हुआ है लेकिन अभी भी कई विषय हैं । अहमदाबाद के पृथ्वी पटेल ने कहा कि गुजरात में पिछले चुनाव में पाटीदार आंदोलन का गहरा प्रभाव रहा । सरकार ने सामान्य श्रेणी के गरीब लोगों को शिक्षा और रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण का कानून बनाया है । इसका न केवल गुजरात में बल्कि देश के बहुत बड़े क्षेत्र में पार्टी को लाभ होगा क्योंकि यह ऐसा सवाल था जिसका जवाब देना कठिन हो रहा था।