वाराणसी/लखनऊ, भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भाजपा के दलित प्रेम को नई धार देने पहुंचे। उन्होंने यहां एक दलित के घर आयोजित समरसता भोज में कुछ पार्टी पदाधिकारियों के साथ भोजन किया। लेकिन विरोधियों ने शाह की आलोचना की और उनके दलित प्रेम को ढोंग और नौटंकी करार दिया है।
शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के सेवापुरी विधानसभा क्षेत्र में जोगियापुर गांव में गिरिजा प्रसाद बिंद नामक दलित के घर दोपहर का भोजन किया। शाह ने इससे पहले उज्जैन के सिंहस्थ महाकुंभ में दलित संतों के साथ शिप्रा नदी में स्नान किया था।खुद पीएम नरेंद्र मोदी भी बनारस के सिर गोवर्धन में सन्त रविदास मंदिर में रैदासियों के संग लंगर चख कर दलितों को अपना बनाने का प्रयास कर चुके हैं।
गिरजा प्रसाद बिन्द ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि उनका पूरा परिवार दो साल पूर्व अपना दल में था, लेकिन लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से प्रभावित होकर वे भाजपा में शामिल हो गए। बिंद का परिवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुरीद है। शाह के आगमन को लेकर रात भर परिवार तैयारियों में जुटा रहा। जिले के पार्टी नेता रात से ही गांव में पहुंचने लगे थे। इस दौरान शाह का ढोल-नगाड़े तथा फूल-मालों के साथ स्वागत किया गया।
शाह के इस दलित प्रेम को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ढोग करार दिया। अखिलेश ने लखनऊ में संवाददाताओं से कहा, सपा के नेता दलितों के घर खाना खाने का ढोंग नहीं करते। इसके पहले भी एक नेता दलितों के घर बिसलरी की बोतल के साथ खाना खा चुके हैं। चुनाव में परिणाम क्या आया, किसी से छिपा नहीं है। अखिलेश का इशारा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की ओर था। सपा नेता ने कहा कि मजदूर दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने भी मजदूरों के साथ खाना खाया था, लेकिन बगल में बैठी महिला मजदूर से उन्होंने उसकी जाति नहीं पूछी थी।
पूर्व मुख्यमंत्री व बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने भी शाह पर निशाना साधा और उनके दलित प्रेम को नौटंकी करार दिया। मायावती ने लखनऊ में जारी एक बयान में कहा, भाजपा नेता का यह दलित प्रेम सिर्फ नौटंकी के सिवा और कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा कभी भी दलितों की हितैषी नहीं हो सकती। मायावती ने हरियाणा का उदाहरण देते कहा, भाजपा शासित राज्य में बसपा के जन्मदाता कांशीराम की प्रतिमा तोड़ने की घटना होती है और हरियाणा सरकार ने दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई नहीं की। मायावती ने कहा, भाजपा आज से नहीं बल्कि जनसंघ के समय से ही अपने चाल, चरित्र व चेहरे से हमेशा ही जातिवादी प्रवृत्ति की रही है और इनकी दलित-विरोधी मानसिकता के कारण ही यहां दलित व पिछड़े समाज के लोगों को अपूरणीय क्षति हुई है।
बसपा, सपा के बाद कांग्रेस ने भी शाह के दलित प्रेम पर सवाल खड़ा किया। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि अच्छा होता कि शाह दलितों के घर खाना खाने के बजाय उन्हें अपने घर बुलाकर खाना खिलाते। राजपूत ने कहा, इसे नौटंकी नहीं तो और क्या कहेंगे। दलितों के घर खाना खाने से उनका उद्धार नहीं होगा। ये लोग सिर्फ दलितों को ठगने का काम कर रहे हैं। इनका दलित प्रेम महज दिखावा है।