भाजपा के लोग बस देश का क्षेत्रफल बता दें: अखिलेश यादव

लखनऊ, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (सपा)के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन दौरे को लेकर रविवार को निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भाजपाई बस देश का क्षेत्रफल बता दें मतलब ये बता दें कि भाजपा सरकार के आने के समय देश की कुल भूमि जितनी थी, अब भी उतनी ही है या अब चीनी कब्जे के बाद घट गयी है।

अखिलेश यादव ने अपने सोशल अकाउंट फेसबुक पर अपना बयान पोस्ट कर ये सवाल उठाए हैं। अखिलेश ने लिखा है कि, ये है तथाकथित आत्मनिर्भर, स्वदेशी और चीनी सामान के बहिष्कार के भाजपाई जुमलों का चिंताजनक सच!”
अपने बयान में उन्होंने कहा है कि चीन से आनेवाले सामानों पर जिस तरह भारत की निर्भरता बढ़ती जा रही है, उसका बुरा असर हमारे उद्योगों, कारखानों और दुकानों के लगातार घटते जा रहे काम-कारोबार पर पड़ा है। इससे बेरोजगारी भी बेतहाशा बढ़ रही है।

अखिलेश यादव ने अपने पोस्ट में लिखा है कि, “ भाजपा चीनी चाल की क्रोनोलॉजी समझे। पहले चीन अपना माल भारत के बाज़ारों में भर देगा। इससे चीन पर निर्भरता इतनी बढ़ जाएगी कि उनकी हर ग़लत हरकत को नज़रअंदाज़ करने के लिए भाजपाई मजबूर हो जाएंगे।उसके बाद चीन हमारे उत्पादों और उद्योगों को धीरे-धीरे बंद करवाने के कगार तक ले जाएगा।

अखिलेश यादव आगे कहते हैं कि उसके बाद चीन मनमाने दाम पर हर चीज़ सप्लाई करेगा। उसके बाद महंगाई-बेरोज़गारी बढ़ाएगा। जब महंगाई-बेरोज़गारी ज़्यादा होगी तो सरकार के ख़िलाफ़ आक्रोश भी कई गुना बढ़ जाएगा।दूसरों के सहारे पर चल रही, बिना बहुमत की भाजपा की सरकार और भी कमज़ोर होकर लड़खड़ा जाएगी।

सपा के नेता अखिलेश ने लिखा है कि ख़ुद ही लड़खड़ाती भाजपा की सरकार चीन के अतिक्रमण को चुनौती नहीं दे पायेगी। हमारी भूमि पर चीन अपना क़ब्ज़ा और बढ़ाएगा और उसके बाद भाजपा दोहराएगी कि “न कोई…, न कोई।”

उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए अखिलेश कहते हैं कि अगर ये बात ‘ड्रोनवालों’ को समझ नहीं आ रही है तो उप्र में विराजमान ‘बुलडोज़र’ वाले प्रवासी जी ही ये सच्चाई समझकर जवाब दे दें कि चीन द्वारा हमारी कितनी ज़मीन हड़प ली गयी है, क्योंकि उनका मूल निवास स्थान भी तो चीनी क़ब्ज़े का शिकार हुआ है।

उन्होंने कहा कि भाजपाई बस देश का क्षेत्रफल बता दें मतलब ये बता दें कि भाजपा सरकार के आने के समय देश की कुल भूमि जितनी थी, अब भी उतनी ही है या अब चीनी क़ब्ज़े के बाद घट गयी है। दिल्लीवाले न सही तो लखनऊवाले ‘पलायन स्पेशलिस्ट’ ही बता दें कि हमारी कितनी भूमि का पलायन हो गया है, वैसे जनता ये बख़ूबी समझती है कि भूमि का पलायन थोड़े ना होता है, जो वो चलकर कहीं चली गयी होगी।

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