नयी दिल्ली,आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा दिल्ली के अंदर पंजाब की गाड़ियों में घूम रहे लोगों को गणतंत्र दिवस पर खतरा बताए जाने पर तीखा पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा ने सभी पंजाबियों का अपमान किया है।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि भाजपा नेता प्रवेश वर्मा ने कहा है कि पंजाबी गणतंत्र दिवस पर देश की सुरक्षा के लिए ख़तरा हैं। क्या सारे पंजाबी आतंकवादी और देशद्रोही हैं? दिल्ली में रह रहे लाखों पंजाबियों के परिवारों और उनके पूर्वजों ने देश के लिए न जाने कितनी क़ुर्बानियां दीं और यातनाएं सही हैं। भाजपा के नेता आज जो कह रहे हैं, इससे वो पंजाबियों की शहादत और क़ुर्बानी का अपमान कर रहे हैं। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा को इसके लिए सभी पंजाबियों से माफ़ी मांगनी चाहिए।
उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर कहा, “दिल्ली में लाखों पंजाबी रहते हैं, जिनके परिवारों और उनके पूर्वजों ने देश के लिए न जाने कितनी क़ुर्बानियां दी हैं। दिल्ली में लाखों पंजाबी रिफ़्यूजी भी रहते हैं जो बंटवारे के मुश्किल दौर में सब कुछ छोड़कर दिल्ली आ कर बसे थे। इनके परिवार ने भी अनगिनत यातनाएं सही हैं। भाजपा के नेता आज जो कह रहे हैं, इससे वो उनकी शहादत और क़ुर्बानी का अपमान कर रहे हैं। यह बयान सुनकर मुझे बहुत पीड़ा हुई। दिल्ली को पंजाबियों ने सवारा है। पंजाबियों को देश के लिए ख़तरा बोलकर भाजपा ने दिल्ली में रहने वाले लाखों पंजाबियों को अपमानित किया है। भाजपा को पंजाबियों से माफ़ी मांगनी चाहिए।”
आप के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि मंगलवार को भाजपा नेता प्रवेश वर्मा ने कहा कि दिल्ली के अंदर पंजाब के नंबर प्लेट की गाड़ियां घूम रही हैं, जो 26 जनवरी के गणतंत्र दिवस समारोह के लिए खतरा हैं। यह अपने आप में बहुत गंभीर बात है। भाजपा के नेता सिख समाज के लोगों को आतंकवादी कह रहे हैं। ये लोग शहीद-ए-आजम भगत सिंह के वंशजों को आतंकवादी कह रहे हैं, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर इस देश को आज़ाद करवाया।
श्री सिंह ने कहा कि पूरे देश में भाजपाइयों ने बंगलादेशी घुसपैठियों को बसा रखा है, इन्हें उससे खतरा नहीं है, लेकिन अपने देश के ही एक प्रांत पंजाब की गाड़ियां अगर दिल्ली आ रही हैं, तो वह देश के लिए खतरा है। यह बहुत शर्मनाक बयान है। यह पंजाबियों और सिखों की शहादत और देशभक्ति का अपमान है। बंटवारे के समय लाखों की संख्या में सिख और पंजाबी भाई दिल्ली आए थे।