नई दिल्ली, भारतीय साइकिलिंग महासंघ के महासचिव ओंकार सिंह ने कहा कि महंगे उपकरण समस्या है लेकिन इसके बावजूद अगर एशियाई खेलों जैसी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक मिलते हैं तो भारत में साइकिलिंग में प्रगति हो सकती है। ओंकार ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में देश में साइकिलिंग के स्तर में सुधार हुआ है लेकिन अब भी सरकार के सहयोग की जरूरत है। उन्होंने कहा, एक साइकिल पांच लाख रूपये की आती है, एक पहिया भी 20000 रूपये तक का आता है। इसलिए आम आदमी के लिए साइकिलिंग से जुड़ना काफी मुश्किल है।
ओंकार ने कहा, ऐसे केंद्र होने चाहिए जहां पर्याप्त मात्रा में उपकरण उपलब्ध हो। अन्यथा हमारे लिए बरकार रहना और विश्व स्तरीय साइकिलिस्ट तैयार करना मुश्किल होगा। साइकिलिंग में भारत का प्रदर्शन काफी अच्छा नहीं रहा है और एशियाई खेलों में तीन पदक के अलावा देश को एशियाई चैम्पियनशिप में दो पदक मिले हैं। तोक्यो 1964 ओलंपिक खेलों के बाद से कोई भारतीय साइकिलिंग में ओलंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाया है। ओंकार ने कहा कि देश भर में बुनियादी ढांचा बनाकर ही साइकिलिंग का विकास नहीं किया जा सकता बल्कि इसके लिए पहले पदक जीतने होंगे और खेल में रुचि जगानी होगी।
उन्होंने कहा, देश के विभन्न राज्यों में लगभग 16 वेलोड्रोम हैं। ये सभी आउटडोर सुविधाएं हैं जहां कंक्रीट के ट्रैक हैं। आईजीआई वेलोड्रोम देश की एकमात्र इंडोर सुविधा है जिसमें लकड़ी का ट्रैक है। यह एशियाई की नहीं बल्कि दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सुविधाओं में से एक है। सीएफआई महासचिव ने कहा, यही कारण है कि हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इतनी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं क्योंकि हमारे पास ऐसी सुविधा है। एशिया में तीन या चार जबकि दुनिया भर में 10 या 12 लकड़ी के ट्रैक ही हैं। ओंकार ने कहा कि 2020 ओलंपिक के लिए खिलाड़ियों का क्वालीफाई होना लक्ष्य है और ऐसा हुआ तो भारतीय साइकिलिंग में नये युग की शुरूआत होगी।