लखनऊ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कहा कि इंडोनेशिया, भारत की विरासत का निकटतम सहयोगी रहा है। समय के साथ संभव है कि दोनों देशों की उपासना पद्धतियों में कुछ अंतर आ गया हो,पर मूलभावना एक ही है और ऐसे में दोनों देशों के दो सदी पुराने रिश्तों को साझा संस्कृति के सहारे नयी ऊंचाई तक पहुंचाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारत में इंडोनेशिया की राजदूत इना एच कृष्णमूर्ति से यहां मुख्यमंत्री आवास में मुलाकात के दौरान कहा कि प्राचीन काल से दोनों देशों में बेहद घनिष्ट सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक संबंध रहे हैं। बाली, जकार्ता और सुमात्रा का जिक्र तो महर्षि बाल्मीकि रचित रामायण और बौद्ध ग्रन्थों में भी मिलता है। प्रभु श्री राम और बुद्ध से संबंधित इन क्षेत्रों से जुड़कर हर भारतीय गौरवान्वित महसूस करेगा।
इस दौरान दोनों देशों के साझी विरासत पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, “हम हर साल दीपावली के एक दिन पहले श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में भव्य दीपोत्सव का आयोजन करते हैं। इस आयोजन में हर साल रामलीला का मंचन करने वाले इंडोनेशिया के कलाकारों को भी आमंत्रित करते हैं। इन कलाकारों की प्रस्तुतियां बेहद मनमोहक होती हैं। दोनों देशों के संबंधों को नई ऊंचाई देने में हमारी साझा संस्कृति महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इस बाबत मेरी इच्छा है कि इस साल के दीपोत्सव में इंडोनेशिया के मंत्री की अगुवाई में वहां से एक सांस्कृतिक दल आये।”
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की ‘एक जिला एक उत्पाद योजना’ (ओडीओपी) से प्रेरित होकर इंडोनेशिया में भी ‘एक गांव एक उत्पाद’ योजना संचालित की जा रही है। उन्होंने कहा, “मुझे यह जानकर सुखद अनुभव हुआ कि इंडोनेशिया ने उत्तर प्रदेश की किसी योजना को अपनाया है।
राजदूत कृष्णमूर्ति ने कहा कि उनके नाम में ही कृष्णामूर्ति जुड़ा हुआ है। ऐसे में उत्तर प्रदेश से उनका गहरा लगाव होना स्वाभाविक ही है। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश और इंडोनेशिया के बीच एक सीधी हवाई सेवा उपलब्ध हो। यह हवाई सेवा दोनों देशों के सम्बंधों को और बेहतर बनाने में सुगमता प्रदान करेगी।”
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश ओडीओपी योजना से प्रेरणा लेकर इंडोनेशिया के बाली में ‘वन विलेज वन प्रोडक्ट’ के कार्यक्रम शुरु किया है। इस प्रयास से जमीनी स्तर पर अर्थव्यवस्था में उछाल आया है।