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भारत की प्राचीन विरासत विश्व कल्याण के लिए है: प्रधानमंत्री मोदी

नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की प्राचीन विरासत को इतिहास से अधिक एक उत्कृष्ट विज्ञान एवं इंजीनियरिंग के ज्ञान का भंडार बताते हुए रविवार को कहा कि यह विरासत स्वयं के लिए नहीं बल्कि विश्व कल्याण के लिए है।

प्रधानमंत्री मोदी ने यहां भारत मंडपम में संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) विश्व विरासत समिति की बैठक का उद्घाटन करते हुए यह बात कही तथा यूनेस्को विश्व विरासत केंद्र की स्थापना के लिए दस लाख डॉलर के अनुदान की घोषणा की।

उन्होंने बैठक को संबोधित करते कहा कि भारत, यूनेस्को विश्व धरोहर केन्द्र के लिए एक मिलियन (दस लाख) डॉलर का योगदान करेगा। ये कार्य क्षमता निर्माण, तकनीकी सहायता, और विश्व धरोहरों के संरक्षण में उपयोग होगा। विशेषरूप से ये धनराशि ग्लोबल साउथ के देशों को काम आएगी।

बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर, संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, विदेश राज्य मंत्री सुरेश गोपी और यूनेस्को के वरिष्ठ अधिकारी तथा विदेशी प्रतिनिधि उपस्थित थे।

उन्होंने बैठक उपस्थित प्रतिनिधियों को गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं देते हुए कहा,“आज भारत गुरु पूर्णिमा का पवित्र पर्व मना रहा है। मैं आप सभी को और सभी देशवासियों को अध्यात्म और ज्ञान के इस पर्व की बधाई देता हूं। ऐसे अहम दिन 46वीं विश्व विरासत समिति की शुरुआत हो रही है और भारत में ये आयोजन पहली बार हो रहा है। सभी देशवासियों को इसकी विशेष खुशी है।”

उन्होंने कहा,“अभी मैं विदेशों से वापस लाई गई प्राचीन धरोहरों की प्रदर्शनी भी देख रहा था। बीते वर्षों में हम भारत की 350 से ज्यादा प्राचीन धरोहरों को वापस लाए हैं। प्राचीन धरोहरों का वापस आना वैश्विक उदारता और इतिहास के प्रति सम्मान के भाव को दिखाता है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज के इस आयोजन में दुनिया के कोने-कोने से आए विशेषज्ञ ये अपने आप में इस बैठक की समृद्धि को दर्शाता है। ये आयोजन भारत की उस धरती पर हो रहा है, जो विश्व की प्राचीनतम जीवंत सभ्यताओं में से एक है। भारत इतना प्राचीन है कि यहां वर्तमान का हर बिन्दु किसी न किसी गौरवशाली अतीत की गाथा कहता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की प्राचीन विरासत केवल अपने लिए नहीं बल्कि विश्व कल्याण के लिए है। भारत के संस्कृति स्वयं के लिए नहीं बल्कि वयम् की भावना से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि भारत की विरासत केवल एक इतिहास नहीं है, भारत की विरासत एक विज्ञान भी है। भारत की विरासत में अत्यंत उत्कृष्ट इंजीनियरिंग की एक गौरवशाली यात्रा के भी दर्शन होते हैं। भारत का इतिहास और भारतीय सभ्यता, ये सामान्य इतिहास बोध से कहीं ज्यादा प्राचीन और व्यापक हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज 46वीं विश्व विरासत समिति के माध्यम से भारत का पूरे विश्व को यही आह्वान है कि हम सब एक-दूसरे की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए, मानव कल्याण की भावना के विस्तार के लिए, अपनी विरासत को संरक्षित करते हुए पर्यटन बढ़ाने के लिए तथा इसके माध्यम से ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर बनाने के लिए जुड़ें।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया ने वो दौर भी देखा है, जब विकास की दौड़ में विरासत को नजरअंदाज किया जाने लगा था, लेकिन आज का युग कहीं ज्यादा जागरूक है।

उन्होंने कहा कि भारत का तो विजन है- विकास भी, विरासत भी। बीते 10 वर्षों में भारत ने एक ओर आधुनिक विकास के नए आयाम छुए हैं, वहीं ‘विरासत पर गर्व’ का संकल्प भी लिया है। हमने विरासत के संरक्षण के लिए अभूतपूर्व कदम उठाए हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले साल, हमने जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी। शिखर सम्मेलन का विषय एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य था। हमने इसकी प्रेरणा वसुधैव कुटुंबकम के विचार से ली। उन्होंने कहा कि भारत खाद्य और जल संकट की चुनौतियों का सामना करने के लिए मोटे अनाज यानी श्री अन्न को बढ़ावा दे रहा है।