इंदौर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज विश्व भर में फैले प्रवासी भारतीय समुदाय को भारत के ‘राष्ट्रदूत’ की संज्ञा देते हुए कहा कि जी-20 सम्मेलन की मेजबानी भारत के लिए एक अवसर की तरह है और प्रवासी भारतीय समुदाय भी इसे दुनिया को भारत के बारे में जानकारी देने के एक मौके के तौर पर ही देखें।
श्री मोदी ने आज यहां आयोजित 17वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के औपचारिक उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए ये बात कही। इस दौरान गुयाना के राष्ट्रपति मोहम्मद इरफान अली, सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी, मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, विदेश मंत्री एस जयशंकर समेत कई अन्य गणमान्य लोग और बडी संख्या में प्रवासी भारतीय उपस्थित थे।
अपने करीब 25 मिनट के संबोधन में श्री मोदी ने प्रवासी भारतीय समुदाय के समक्ष कई सुझाव रखे। उन्होंने कहा कि सभी प्रवासी भारतीय विदेशी धरती पर भारत के राष्ट्रदूत हैं। सरकारी व्यवस्था में राजदूत होते हैं, लेकिन भारत की महान विरासत में राष्ट्रदूत हुआ करते हैं। उन्होंने कहा कि सभी प्रवासी भारतीय मेक इन इंडिया, योग, हस्तशिल्प और अब मिलेट्स के भी राष्ट्रदूत हैं। इसी क्रम में उन्होंने प्रवासी भारतीय समुदाय से आग्रह किया कि वे लोग अपने साथ कुछ मिलेट्स उत्पाद अवश्य लेकर जाएं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की अभूतपूर्व विकास गति को पूरी दुनिया गौर से देख रही है। आने वाले दिनों में ये गति और बढ़ेगी। दुनिया में भारत के प्रति जिज्ञासा के इस दौर में प्रवासी भारतीयों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। प्रवासी भारतीय भारत के बारे में तथ्यों के साथ जानकारी पूरी दुनिया को दे सकते हैं।
इसी क्रम में उन्होंने जी-20 सम्मेलन का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के प्रतिनिधिमंडल इस साल भारत आएंगे। इन प्रतिनिधिमंडलों को प्रवासी भारतीय भारत के बारे में पहले से ही जानकारी दे सकते हैं और इनके भारत से वापस लौटने के बाद प्रवासी भारतीय उन्हें अपने घर बुला कर उनसे यहां के अनुभवों के बारे में जानकारी ले सकते हैं।
इससे दोनों देशों के बीच बंधन और मजबूत होंगे।
प्रधानमंत्री ने युवा प्रवासी भारतीयों का भी आह्वान करते हुए कहा कि युवा अपने पूर्वजों के देश के बारे में गहराई से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। वे भारत में आयोजित पर्वों, मेलों और आजादी का अमृत महोत्सव के तहत आयोजित कार्यक्रमों में आ सकते हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ भारतीय कई देशों में सदियों से बसे हैं और उनका उस देश के निर्माण में अहम योगदान है। ऐसे लोगों के जीवन, संघर्ष और उनके योगदान का दस्तावेजीकरण किया जा सकता है।
समारोह में उपस्थित गुयाना और सूरीनाम के राष्ट्राध्यक्षों का आभार प्रकट करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके सभी सुझावों पर भारत खरा उतरेगा।