मुंबई, सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा कि अगर भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ तो मैं भी सीमा पर लडने जाऊंगा। हालांकि, अन्ना का कहना है कि हमें युद्ध नहीं लडना चाहिए, लेकिन अगर पाकिस्तान के रुख में बदलाव नहीं आता है तो जंग लडनी पड़ेगी। उनका कहना है कि यदि पाकिस्तान पड़ोसी धर्म ठीक से निभाने के बजाय दुश्मनी पर उतरता है, तो उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाना चाहिए। अन्ना का कहना है कि ऐसी स्थिति में यदि जरूरत पड़ी तो 79 वर्ष की उम्र होने के बावजूद वह स्वयं एक बार फिर सीमा पर जाकर लड़ना पसंद करेंगे। बातचीत के दौरान जंग में लगे छर्रे के निशान दिखाते हुए अन्ना ने कहा कि मुझे आज भी पाकिस्तान के दिए जख्म याद हैं। अन्ना खुद पर बनी एक फिल्म से जुड़े कार्यक्रम में मुंबई आए थे।
उन्होंने कहा कि उड़ी में जो खौफनाक घटना हुई है मैं उससे बहुत आहत हूं और हमले पर सरकार की प्रतिक्रिया का समर्थन करता हूं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अच्छे दिनों के बारे में आप मुझसे ज्यादा जानते हैं। अन्ना ने पाकिस्तानी कलाकारों को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की ओर से दी गई धमकी पर कहा कि युद्ध और कला में अंतर होता है। दोनों को हमें अलग रखना चाहिए। महाराष्ट्र में कापर्डी कांड के बाद से राज्य में शुरू मराठों के मूक आंदोलन के बारे में उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। अन्ना ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बारे में कहा कि उसके दिमाग में सत्ता का मद घुस गया है। अन्ना ने दिल्ली सरकार के मंत्रियों की करतूत पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि यह मेरा नुकसान है और मैं दुखी हूं। अन्ना ने कहा कि अगर 2011 वाली टीम होती तो देश की हालत कुछ और होती।
अन्ना हजारे युवावस्था में सेना में काम कर चुके हैं। पाकिस्तान के साथ 1965 में हुए युद्ध में वह खेमकरण सीमा पर ड्राइवर के रूप में तैनात थे। पाकिस्तानी हमले में उनके साथ के सभी लोग मारे गए। लेकिन उनके माथे पर गोली का एक छर्रा भर लगा और वह बच गए। तभी से उन्होंने तय कर लिया कि भाग्य से मिला यह पुनर्जन्म अब देश की सेवा में लगा देना है।